प्रदेश के सभी औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने की उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत हर जिले की इकाइयों का ब्योरा आॅनलाइन किया जा रहा है। दिसंबर, 2016 तक यह काम पूरा करने के निर्देश बोर्ड ने जारी किए हैं। उधर, इस लक्ष्य को पूरा करने में नोएडा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पसीने छूट रहे हैं। बताया गया है कि कुछ दिनों पहले इस महत्त्वाकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए लखनऊ स्थित बोर्ड मुख्यालय में अहम बैठक हुई थी। जिसमें प्रदेश भर के सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों ने भाग लिया था। एनओसी के नवीनीकरण नहीं होने और बकाया शुल्क को लेकर सोनभद्र, कानपुर देहात और नोएडा के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सबसे निचले स्तर पर हैं। बोर्ड के सदस्य सचिव एससी यादव ने तीनों क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्धारित लक्ष्य तक बैगलॉग पूरा करने के कड़े निर्देश जारी किए हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण पर सख्ती और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी वाली समितियों के कारण सभी राज्य स्तरीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रोकथाम संबंधी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। सेक्टर-1 स्थित नोएडा नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा में करीब 176 ऐसे औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, जिन्होंने पूर्व में ली गए एनओसी का नवीनीकरण नहीं कराया है। इसी वजह से शुल्क जमा नहीं हो सका है। हालांकि उप्र के सोनभद्र और कानपुर देहात में ऐसी इकाइयों की संख्या नोएडा से ज्यादा है।

अधिकारियों का तर्क है कि बगैर एनओसी या नवीनीकरण के चलने वाली इकाइयों की वजह नोएडा में एक ही परिसर में किराए पर कई प्रतिष्ठानों का होना है। किराए पर काम शुरू होने पर प्रतिष्ठान एनओसी के लिए आवेदन करता है। कई मंजिला इमारत की अलग अलग फ्लोर पर अलग-अलग नाम से काम करने वाले प्रदूषण नियंत्रण विभाग में आवेदन करते हैं। इनकी फाइल तैयार कर एनओसी जारी की जाती है। काम नहीं चलने या अन्य दिक्कतों के कारण प्रतिष्ठानों के बंद होने के बावजूद उक्त प्रतिष्ठान की फाइल रेकॉर्ड में बनी रहती है। नोएडा कार्यालय के क्षेत्रीय अधिकारी डॉक्टर बीबी अवस्थी ने बताया कि मुख्यालय के कड़े निर्देश के कारण इलाकेवार प्रतिष्ठानों का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है।