उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में दस साधुओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। दरअसल एक अखाड़े के सदस्यों ने साधुओं पर गैर कानूनी रूप से प्रबंधन समिति को अपने नियंत्रण लेकर संपत्ति हथियाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। हालांकि श्री पंचायती निर्मला अखाड़ा के इन दस साधुओं ने खुद पर लगाए आरोपों को खारिज कर दिया और दूसरे समूह पर दो साल पहले अखाड़े की जमीन हथियाने का आरोप लगाया। बताया जाता है कि झगड़ा उत्तराखंड में गंगा किनारे सती घाट के पास 200 करोड़ रुपए की जमीन और आश्रम को लेकर है।माना जाता है कि निर्मला सिख परंपरा 17वीं शताब्दी के अंत में गुरु गोविंद सिंह द्वारा स्थापित की गई थी।

हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में स्टेशन हाउस अधिकारी (SHO) विकास भारद्वाज ने कहा कि जसविंदर सिंह से मिली शिकायत के अनुसार दस साधुओं (रेशम सिंह, हाकम सिंह, कश्मीर सिंह, प्रेम सिंह, कमलजीत सिंह, महंत गोपाल सिंह, जगजीत सिंह, सुखा सिंह, महंत विकार सिंह और जगतर सिंह) ने 19 अगस्त, 2019 को एक बैठक आयोजित की और अवैध रूप से रेशम सिंह को अपना अध्यक्ष चुन लिया। पदाधिकारियों की एक नई समिति का गठन किया गया। फिर उन्होंने कथित रूप से नई समिति को उप-पंजीयक कंपनियों के साथ पंजीकृत करने का कोशिश की।

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मामले में हरिद्वार के एसपी सेंथिल अबुदाई कृष्णराज ने बताया कि एक शिकायत के आधार पर दस साधुओं के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर जसविंदर सिंह ने कहा कि दस साधुओं, जो पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर, संगरूर, फिरोजपुर, होशियारपुर और बरनाला के निवासी हैं, के पास अखाड़े के प्राथमिक सदस्य भी नहीं थे मगर लंबे समय से वहां रह रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं अखाड़े का कोषाध्यक्ष हूं और ज्ञानदेव सिंह इसके अध्यक्ष हैं।

वहीं रेशम सिंह ने आरोप लगाया कि ज्ञानदेव सिंह और जसविंदर सिंह ने दो साल पहले जबरन अखाड़े पर नियंत्रण ले लिया और दस साधुओं की सदस्यता भी रद्द कर दी गई क्योंकि उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं के बारे में शिकायत की थी। रेशम सिंह ने कहा कि पिछली कमिटी जो सदस्यओं की मीटिंग बुलाए बिना बना ली गई इसे जारी रखने की अपनी नैतिकता खो चुकी है। ये कमिटी भ्रष्टाचार में भी शामिल थी। रेशम सिंह ने कहा, ‘हम अभी भी अखाड़े के सदस्य हैं और ये साबित कर सकते हैं कि हमने नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए नई समिति का गठन किया है।’