गौरक्षकों से बुरी तरह पीटे जाने और बिना इलाज के बहरोड़ पुलिस स्टेशन में पूरा दिन बिताने के बाद 22 साल के अजमत खान बिस्तर पर पड़े हैं। बीते ही हफ्ते वह घंटेभर तक अपनी 9 साल की बेटी को गोद में लिए खिला रहे थे। मगर आज उनमें 2 कदम चलने की भी हिम्मत नहीं है। परिवार का कहना है कि अजमत की ये हालत पुलिस के खराब रवैये के चलते हुई है।
उनके भाई यूसुफ ने बताया कि इस हमले में चेतन अवस्था खो चुके अजमत आईसीयू में भर्ती थे। इसी बीच पुलिस तीन अन्य लोगों के साथ अजमत को पुलिस स्टेशन ले गई। यहां अजमत को पूरे दिन बिना ट्रीटमेंट के ही रखा गया। इसके चलते अजमत की हालत बेहद बिगड़ने लगी। इसके बाद परिवार ने बहरोड़ स्टेशन पहुंचकर अजमत समेत तीनों लोगों को छोड़ने की लगातार विनती की। अजमत का बताना है कि मुझे पुलिस स्टेशन में फर्श पर ही सोना पड़ा। पुलिसवालों ने मुझे यहां लेने के पीछे की ना तो वजह बताई और ना ही वो मुझे हॉस्पिटल वापस जाने देने जा रहे थे।

बता दें कि शनिवार को जब हरियाणा के रहने वाले 15 लोग छह गाड़ियों में गायों को लेकर जा रहे थे। उसी दौरान बहरोड के पास इन पर हमला कर दिया गया। मारपीट के दौरान 55 साल के पहलू खान को गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद इलाज के दौरान सोमवार को उन्होंने दम तोड़ दिया।
पूरे मामले पर परिवार के करीबी हाजी मोहम्मद का कहना है कि गौरक्षकों ने बेगुनाह लोगों पर हमला किया और इनमें से एक को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने भी उल्टा गंभीर रूप से घायल इन लोगों को पूरा दिन अपनी हिरासत में रखा। ये किस तरह का कानून है? वहीं डीएसपी परिमल सिंह ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि ये सभी आरोप झूठे हैं। हम इस तरह किसी को आईसीयू से कैसे ले जा सकते हैं।
