प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ की लॉन्चिंग के बाद पहली बार इसके तहत मिलने वाली सुविधाओं में कमी पर विचार हो रहा है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) की इस योजना के तहत मोतियाबिंद सर्जरी, डायलिसिस और नॉर्मल डिलिवरी पर होने वाले खर्च की भरपाई की सुविधा को हटाया जा सकता है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अथॉरिटी के सीईओ डॉक्टर इंदु भूषण ने कहा, ‘योजना को अब 150 दिन पूरे हो चुके हैं। इस दौरान हमने सीखा कि पैकेज में कटौती की जरूरत है, ताकि दो अलग-अलग योजनाओं में एक ही सुविधा की पुनरावृत्ति न हो।’

उन्होंने कहा, ‘जो सुविधाएं पहले से चल रही योजनाओं में मिल रही है उन्होंने दूसरे पैकेज में कवर करने की कोई जरूरत नहीं है। हम पैकेजेस की समीक्षा कर रहे हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सबसे ज्यादा भुगतान मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए किया गया। पहले तीन महीनों यानी 24 नवंबर 2018 तक ऐसे 6900 केस सामने आए, जबकि नेशनल ब्लाइंडनेस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत यह सुविधा फ्री में दी जा रही है। अकेले 2017-18 में इसके अंतर्गत 15,91,977 सर्जरी फ्री में की गई थी।

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इसी तरह नॉर्मल डिलीवरी के मामलों को भी जन आरोग्य योजना से बाहर करने की तैयारी चल रही है क्योंकि मातृ एवं बाल स्वास्थ्य के लिए पहले से राष्ट्रीय योजनाएं चल रही हैं। हालांकि ज्यादा जोखिम वाले डिलीवरी के केस आगे भी कवर किए जाते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि 2016 में डायलिसिस को पहले ही बाहर किया जा चुका है क्योंकि यह सुविधा मुफ्त उपलब्ध है। योजना पर हो रहे खर्च की समीक्षा के लिए अथॉरिटी ने नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी से भी इंप्लांट्स और दूसरी डिवाइसेस के लिए उचित कीमत तय करने की बात की है।