नोएडा में ग्रुप हाउसिंग भूखंड आबंटन मामले में अनियमितता बरतने के मामले में सीबीआइ ने 5 साल बाद फिर से प्राधिकरण के कुछ अफसरों पर अभियोग चलाने की अनुमति मांगी है। सीबीआइ इस भूखंड आबंटन में लिप्त 4 अफसरों पर अभियोग चलाना चाहती है। जिसके लिए नोएडा सीईओ से अनुमति मांगी है। इस मामले में एक अधिकारी को पूर्व में 7 दिनों की जेल भी हो चुकी है। खास बात यह है कि भूखंड आबंटन के इस मामले में आरोपी बनाए गए अधिकारियों में से केवल एक ही प्राधिकरण में कार्यरत हैं। अन्य सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस मामले में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के भी कई अधिकारी जेल भेजे जा चुके हैं।
नोएडा के सेक्टर- 35 में इंस्टिट्यूट आॅफ सायटोलॉजी एंड प्रिवेंटिव आनकॉलोजी (आइसीपीओ) को 9712.62 वर्ग मीटर का एक भूखंड आबंटित किया गया था। इस भूखंड में आइसीपीओ के लिए स्टाफ क्वॉटर बनाए जाने थे। भूखंड संख्या 119 के आबंटन में भारी अनियमितताएं बरती गई थीं। यहां तक कि आबंटन के लिए लगाए गए कई शपथ पत्र भी गलत पाए गए। नीरा यादव प्रकरण के बाद इस भूखंड आबंटन मामले की जांच भी सीबीआइ से कराने की मांग की गई थी। जिसके चलते 2012 में सीबीआइ ने प्राधिकरण के ओएसडी आरएस यादव, महा प्रबंधक एससी पबरेजा समेत दो अन्य प्राधिकरण अधिकारियों पर अभियोग चलाने की अनुमति मांगी थी।
सपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन सीइओ संजीव सरन ने सीबीआइ को जांच की अनुमति नहीं दी थी। इसके विपरीत प्राधिकरण ने अपने स्तर से मामले की निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन सीबीआइ को दिया था। हालांकि यह महज आश्वासन ही साबित हुआ और प्राधिकरण की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई। इससे पूर्व गलत शपथ पत्र को लेकर प्रबंधक (आवासीय भूखंड) एससी पबरेजा को 7 दिनों की जेल हुई थी। वह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस मामले में लिप्त केवल ओएसडी आरएस यादव फिलहाल प्राधिकरण में तैनात हैं। सीबीआइ ने आरएस यादव के खिलाफ फिर से अभियोग चलाने की अनुमति सीईओ से मांगी है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व सपा कार्यकाल में आरएस यादव प्राधिकरण के कई महत्त्वपूर्ण विभागों के सिरमौर रहे थे। सत्ता से नजदीकी के चलते तमाम शिकायतों के बावजूद आला अधिकारी भी उनके कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर पाए थे। माना जा रहा है कि तत्कालीन सीईओ संजीव सरन ने भी सत्ता के दबाव में आरएस यादव समेत अन्य के खिलाफ सीबीआइ जांच की अनुमति नहीं दी थी। जबकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के कई बडेÞ अधिकारी जेल भेजे गए थे। पूर्व डीजी डॉ एनके गांगुली और आइसीपीओ के तत्कालीन निदेशक डॉ बीसी दास से भी सीबीआइ ने लंबी पूछताछ की थी।