ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जज को पत्र लिखकर खुद की जिंदगी खत्म करने की अनुमति मांगी है। पुरी स्थित मंदिर के पुजारी ने चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के करीब चार महीने बाद पत्र यह पत्र लिखा है, जिसमें कोर्ट ने भक्तों को जबरदस्ती चढ़ावे के लिए मजबूर नहीं करने की सलाह दी गई थी। कोर्ट ने कहा था कि सबसे जरुरी यह है कि सारे भक्त बगैर किसी परेशानी के मंदिर में दर्शन कर सकें और उनके द्वारा दिए गए चढ़ावे का किसी तरह दुरुपयोग ना हो। इसपर मंदिर के सेवादार नरसिंहा पूजापंडा ने बताया कि भक्तों से मिलने वाला दान और उपहार ही मंदिर के लिए एकमात्र आमदनी का स्त्रोत हैं।

पूजापंडा ने बुधवार (31 अक्टूबर, 2018) को दाखिल की अपनी याचिका में कहा, ‘हम उनसे (दान दाताओं) मांगते हैं और यह पिछले करीब एक हजार सालों से चल रहा है। अब सरकार और कोर्ट हमारी आमदनी के एकमात्र स्त्रोत को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हम बिना आमदनी के कैसे जिंदा रहेंगे।’ पूजापंडा ने आगे कहा, ‘अब देश की सबसे बड़ी अदालत का कहना है कि सेवादार दानदातों से मिलने वाले धन से बचें। आजीविका चलाने के लिए ये लगभग नामुमकिन सा है। मैंने ओडिशा सरकार से संपर्क किया कि मुझे इच्छा मृत्यु दी जाए, मगर उन्होंने इनकार कर दिया। भूख से मरने से अच्छा तो एक बार में मरन जाना सही है।’