भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में सोमवार को एंटी कन्वर्जन लॉ को पास हुए एक महीना पूरा हो गया। इसे ‘लव जिहाद कानून’ भी कहा गया है। 28 नवंबर को कानून लागू होने के बाद से यूपी पुलिस इस मामले में अब तक 14 केस दर्ज कर चुकी है। 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और उनमें 49 लोग जेल में हैं। 14 मामलों में से 13 में हिंदू महिलाओं पर कथित तौर पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाला गया। खास बात है कि सिर्फ दो पीड़ित महिलाओं ने इसकी शिकायत पुलिस को दी। 12 अन्य मामलों में शिकायतकर्ता महिला के रिश्देार थे। इनमें दो मामले ऐसे हैं जिनमें हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने मामले में दखल दिया। थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किए गए। आठ मामलों में युगल ने कहा कि वो पूर्व में दोस्त रहे या रिलेशनशिप में थे। एक कपल ने विवाह होने का दावा किया है। सभी मामलों में से एक में व्यस्क महिला थी।

इनमें एक मामले में आजमगढ़ स्थित तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। आरोप था कि वो गैरकानूनी रूप से एक महिला को ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने में शामिल थे। दो मामलों में महिलाओं ने अलग-अलग पुरुषों से विवाह किया मगर सामाजिक दबाव के चलते अपना बयान दर्ज कराने से इनकार कर दिया। दो केस में महिलाओं ने बलात्कार के आरोप लगाए। कथित तौर पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाने वाली महिलाओं में तीन दलित हैं। कुल मिलाकर बिजनौर जिले में तीन और शाहजहांपुर में दो और बरेली, मुजफ्फरनगर, मऊ, सीतापुर, हरदोई, एटा, कन्नौज, आजमगढ़, और मुरादाबाद से भी ऐसी रिपोर्ट सामने आईं।

द इंडियन एक्सप्रेस में इनमें से कुछ मामलों की पड़ताल की है-

देवरनिया पुलिस स्टेशन, बरेली
कानून अमल में आने के बाद उसी दिन 24 साल के ओवैस अहमद के खिलाफ केस दर्ज किया। अभी भी पुलिस गिरफ्त में अहमद पर विवाहित हिंदू महिला पर विवाह का दबाव डालने का आरोप है। महिला के परिजनों को धमकाने का भी उसपर आरोप लगा है। शुरुआती जांच से संकेत मिला कि दोनों पहले से रिलेशनशिप में थे और पिछले साल घर छोड़कर भाग गए। जब अहमद को गिरफ्तार किया तब भी महिला ने कोर्ट में पिता के उसके अपहरण के दावे से इनकार कर दिया। देवरनिया एसएचओ दया शंकर ने बताया कि महिला ने सामाजिक दबाव के कारण कोर्ट में अपना बयान दर्ज करने से इनकार कर दिया था।

मंसूरपुर पुलिस स्टेशन, मुजफ्फरनगर
34 साल के नदीम और उसके दोस्त सुलेमान के खिलाफ 29 नवंबर को केस दर्ज हुआ। दोनों पर एक निजी ठेकेदार की पत्नी को परेशान करने, जबरन विवाह करने और धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगे। नदीम और सुलेमान दोनों हरिद्वार में एक कारखाने में मजदूर थे। यहां ठेकेदार ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराया। आरोप लगाया कि काम के लिए नदीम का उसके घर जाना लगा रहता था। इस दौरान उसकी पत्नी से दोस्ती हुई और पत्नी पर मुजफ्फरनगर शिप्ट होने का दबाव डाला। 18 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नदीम के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। मंसूरपुर एसएचओ कुशल पाल सिंह ने बताया कि सबूतों के अभाव में सुलेमान को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। इस मामले में भी महिला ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराने से इनकार कर दिया।

चिरियाकोट पुलिस स्टेशन, मऊ
शादाब खान (32) और उसके रिश्तेदारों व दोस्तों सहित दस लोगों को एक महिला (24) की शादी से एक दिन से पहले अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मऊ के एएसपी टीएन त्रिपाठी ने बताया कि महिला को बरामद कर लिया गया मगर वो अपना बयान दर्ज करा पाई क्योंकि उसे कोरोना की पुष्टि हुई थी।