राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल के एक स्कूल द्वारा एक एचआइवी पीड़ित बच्चे का प्रवेश प्रतिबंधित करने की घटना को गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर मुख्य सचिव से सफाई मांगी है। मीडिया में इस बाबत आई खबर का खुद संज्ञान लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है।

खबर के मुताबिक दक्षिण चौबीस परगना जिले के बिष्णुपुर इलाके के एक निजी स्कूल ने एचआइवी पाजिटिव बच्चे का प्रवेश तो प्रतिबंधित कर ही दिया, वहीं पढ़ाने वाली उसकी नानी को भी पाक-साफ होने का परीक्षण कराने के लिए बाध्य किया। तभी से उसके साथ मौखिक तौर पर बार-बार बेहुदा सलूक भी किया जा रहा है। आयोग ने पहली नजर में इसे सात साल के मासूम लड़के के शिक्षा के अधिकार और उसकी नानी के मानवाधिकार का गंभीर हनन बताया है। आयोग का कहना है कि यह एक दुखद स्थिति है और इससे पता चलता है कि लोगों में अभी भी एचआइवी एड्स को लेकर पूर्वाग्रह, निरर्थक दर्द और भेदभाव की भावना है।

खबर में बताया गया था कि सात साल के लड़के का पांच महीने पहले चिकित्सा परीक्षण हुआ था। उसमें वह एचआइवी पाजिटिव पाया गया था। उसकी गोपनीय रिपोर्ट लीक होने जाने के बाद दूसरे बच्चों के अभिभावकों ने ज्ञापन देकर उस बच्चे को स्कूल से निकालने की मांग की तो स्कूल ने बच्चे को निकाल दिया। इस बच्चे के मां-बाप दोनों ही एचआइवी पाजिटिव बताए गए हैं।