तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित परमाणु बिजलीघर पर सुरक्षा में चूक को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। इसे पूरी तरह अस्वीकार करते हुए आयोग ने संयंत्र में हुए हादसे के छह पीड़ितों को परमाणु ऊर्जा निगम से तीन लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलाई। पचास हजार रुपए के हिसाब से मुआवजा पाने वाले ये छह पीड़ित संयंत्र के कर्मचारी हैं। जो दो साल पहले चौदह मई को सुरक्षा में चूक के कारण जल गए थे।
आयोग ने कहा है कि परमाणु बिजली संयंत्रों में जिस किस्म की गतिविधियां चलती हैं, उन्हें देखते हुए सुरक्षा मानकों के रख-रखाव में अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह की चूक किया जाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। जो छह कर्मचारी हादसे के शिकार हुए थे वे 60 से 70 फीसद तक जल गए थे। नतीजन उन्हें व उनके परिवार जनों को कायाकष्ट के अलावा मानसिक संताप और पीड़ा भी सहन करनी पड़ी। महज उपचार का खर्च अदा करके या अवकाश के दिनों का वेतन देने से उन्हें पहुंचे नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। वहां मजदूरों के मानवाधिकारों का खुला हनन हुआ। लिहाजा उन्हें उचित मुआवजा मिलना आवश्यक है।
आयोग ने इस मामले का संज्ञान मीडिया की 15 मई 2014 की एक खबर के आधार पर 28 मई को खुद लिया था। खबर में संयंत्र में खराब सुरक्षा मानकों के बारे में बताया गया था। आयोग ने परमाणु ऊर्जा निगम के अध्यक्ष और तिरुनलवेली के कलेक्टर को नोटिस जारी किए थे। जवाब में हादसे की पुष्टि की गई थी। साथ ही दुहाई दी गई थी कि सभी छह मजदूरों के इलाज का खर्च निगम ने उठाया और चिकित्सा अवकाश का भी भुगतान किया। हालांकि वे सभी संविदा कर्मचारी थे। आयोग ने इन उपायों पर तो संतोष जताया पर घायलों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया। आयोग को जवाब मिला है कि हर घायल कर्मचारी को आयोग के निर्देशानुसार मुआवजा अदा कर दिया गया है और वे सभी काम पर वापस भी आ चुके हैं।