राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने श्रीश्री रविशंकर के आर्ट आॅफ लिविंग (एओएल) फाउंडेशन को एक बार फिर झटका दिया है। अधिकरण ने मंगलवार को एओएल की एक अर्जी खारिज कर दी, जिसमें यमुना की जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए पर्यावरण मुआवजे को 4.75 करोड़ रुपए की शेष भुगतान राशि के बजाए बैंक गारंटी के रूप में लिए जाने का आग्रह किया गया था। हरित पैनल ने ऐसी याचिका दायर करने के लिए एओएल पर 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया, जिसमें ठोस बातों की कमी थी और निर्देश दिया कि शेष राशि का भुगतान एक हफ्ते में किया जाए।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने अधिकरण को आश्वासन दिए जाने के बावजूद राशि जमा नहीं करने के लिए एओएल फाउंडेशन की खिंचाई की। हरित अधिकरण ने नौ मार्च को एओएल की ओर से आयोजित ‘वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यह कार्यक्रम 11 से 13 मार्च के बीच आयोजित किया गया था। अधिकरण ने यमुना की जैव विविधता और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाने के लिए फाउंडेशन पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
एओएल ने 11 मार्च को एक याचिका दायर की थी और राशि जमा करने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा था। इसके बाद अधिकरण ने फाउंडेशन को उस दिन 25 लाख रुपए जमा करने की इजाजत दी दी और शेष राशि का भुगतान करने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया। याचिका में कहा गया था कि वर्तमान आवेदन में नौ मार्च और 11 मार्च के आदेश में बदलाव की अपील की गई है ताकि भुगतान की जाने वाली शेष राशि को बैंक गारंटी के रूप में स्वीकार किया जाए।