सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को यहां कहा कि सरकार संचार पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिसकी नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शासन में महत्त्वपूर्ण घटक के तौर पर पहचान की गई है। कमोबेश भारतीय मीडिया प्रगतिशील और रचनात्मक रहा है। मीडिया सरकार और लोगों के बीच की कड़ी है- इसलिए आपकी बड़ी जिम्मेदारी है।

पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित क्षेत्रीय संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नायडू ने कहा कि प्रतिस्पर्धा और टीआरपी की वजह से सनसनी फैलाना सचाई बन गई है। उन्होंने आत्मनियमन की वकालत की। नायडू ने कहा कि उन्होंने हाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली और अधिकारियों से संचार नीति बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में सरकार ने संचार को राष्ट्र के शासन में महत्त्वपूर्ण घटक के तौर पर रखा है।

सरकारी संचारकों की जरूरत है, ताकि सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में देश में हर व्यक्ति तक पहुंचने के लिए नवोन्मेषी उपाय अपनाए जा सकें। देश में चैनलों की बढ़ती संख्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 24 गुणा 7 त्वरित संचार प्रक्रिया के बाद देश में मीडिया के परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है। पहले एक ही टीवी चैनल हमारा दूरदर्शन था। लेकिन आज प्रतिस्पर्धा है। मैं नहीं जानता कि यह स्वस्थ है या अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा है।

नायडू ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और त्वरित सूचना एवं संचार में क्रांतिकारी बदलाव आया है। संवेदनशील मुद्दों से निपटने पर उन्होंने कहा कि मीडिया के सामने चुनौती गुणवत्ता, विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करने वाले की भूमिका निभाने की है। जब भी कोई संकट होता है तो मीडिया को आत्मनियमन के जरिए गंभीर तरीके से बर्ताव करना है। इसके अलावा हितों के टकराव के मुद्दे पर उच्च नैतिक मानदंड को कायम रखने की चुनौती है, जहां मीडिया को बेहद सावधान रहने की जरूरत है।