अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के समापन पर धार्मिक सहिष्णुता की जोरदार वकालत करते हुए आज आगाह किया कि भारत उस समय तक सफलता अर्जित करता रहेगा जबतक वह ‘‘धार्मिक आस्थाओं के आधार’’ पर बंटता नहीं है।

यहां से सऊदी अरब रवाना होने से पहले धार्मिक उग्रवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हर व्यक्ति को उत्पीड़न, भय और भेदभाव के बिना अपनी पसंद की आस्था को अपनाने और उसका अनुसरण करने का अधिकार है।’’

ओबामा की यह टिप्पणी कुछ हिन्दुत्व संगठनों के विवादास्पद धर्मांतरण और ‘घर वापसी’ कार्यक्रमों के बीच आई है। इससे सोशल मीडिया में गर्मा-गरम बहस शुरू हो गई है जिनमें कुछ ने ओबामा के ‘‘भारत को भाषण देने’’ पर आपत्ति जताई है तो कुछ ने इसे सरकार को समय पर चेताना बताया है।

सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में अपने 35 मिनट के अमेरिकी तर्ज के ‘टाउनहॉल’ संबोधन में ओबामा ने वहां मौजूद लगभग 1500 लोगों के बीच यह चेतावनी दी। इस कार्यक्रम में कोई भारतीय नेता उपस्थित नहीं था। श्रोताओं ने ओबामा के भाषण को पसंद किया और कई अवसरों पर खूब तालियां बजाई।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने देश और भारत के बीच मजूबत रिश्तों की पुरजोर वकालत करते हुए दोनों को ‘‘स्वाभाविक साझेदार’’ बताया जहां लोकतंत्र, आस्था की आजादी और सामान्य पृष्ठभूमि वाले लोगों को ऊपर उठने के अवसर देने के साझे मूल्य हैं।

ओबामा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सांप्रदायिकता या अन्य किसी बात के आधार पर बांटने के प्रयासों के खिलाफ हमें सतर्क होना होगा। भारत तब तक सफल रहेगा जब तक वह धार्मिक या अन्य किसी आधार पर नहीं बंटेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में उन लोगों द्वारा असहिष्णुता, हिंसा और आतंक फैलाया जा रहा है जो अपनी आस्था पर कायम रहने का ढोंग कर रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी समाज इंसान के बुरे पक्ष से अछूता नहीं है और अक्सर धर्म का इस्तेमाल इसके लिए होता है। उन्होंने कहा कि ‘‘हमारे दो महान देशों’’ में धार्मिक सहिष्णुता है जहां ‘‘ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी, बौद्ध सभी बराबर हैं। गांधीजी ने कहा था कि विभिन्न धर्म एक बाग के विभिन्न फूल और एक ही विशाल पेड़ की शाखाएं हैं।’’

ओबामा ने कहा, ‘‘आपका (संविधान का) अनुच्छेद 25 कहता है कि सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है। हमारे दोनों देशों में, सभी देशों में धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना न केवल सरकार की बल्कि सभी लोगों की सर्वोपरि जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सभी को अपनी पसंद का धर्म अपनाने और उसका अनुपालन करने का अधिकार है। यह सरकार के साथ सभी लोगों की जिम्मेदारी भी है।’’

अमेरिका में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले का उल्लेख करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जब वहां कुछ सिखों की हत्या कर दी गई थी तब हम सभी दुख से भर गए थे क्योंकि हर व्यक्ति को अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि हमें संकीर्णता या अन्य आधार पर बांटने के प्रयास के प्रति सतर्क रहना होगा।

भारत और अमेरिका को सिर्फ स्वाभाविक साझेदार ही नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ साझेदार बताते हुए ओबामा ने दोनों देशों में समानता के बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘हमारी विविधता हमारी ताकत है। साथ ही भारत और अमेरिका दोनों को संकीर्णता और अन्य बातों से बांटने के प्रयासों के प्रति सचेत रहना चाहिए।’’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अगर हम इस तरह से अच्छा करते हैं, और अगर अमेरिका अपनी विविधता के साथ एक रहने, साझा प्रयासों एवं साझा उद्देश्यों के लिए मिलकर काम करने को एक उदाहरण के रूप में पेश करता है और भारत अपनी विशाल विविधताओं और विभिन्न मतों के साथ लोकतंत्र को लगातार आगे बढ़ाने में सक्षम है तो यह हर देश के लिए उदाहरण हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यही बात है जो हमें (भारत और अमेरिका) विश्व का नेता बनाती है। यह केवल हमारी अर्थव्यवस्था के आकार या हमारे पास कितने हथियार हैं, इससे नहीं बल्कि, साथ मिलकर काम करने की हमारी काबलियत से ऐसा है।’’