सर्वोच्च न्यायालय ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर रोक लगाने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर और न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने 10 अगस्त के आदेश पर मामले की अगली सुनवाई तक रोक लगा दी और सुनवाई की अगली तिथि शुक्रवार को तय कर दी। शीर्ष न्यायालय का यह आदेश केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक याचिका पर आया है, जिसमें कहा गया है कि मद्रास उच्च न्यायालय के पास याचिका की सुनवाई करने और लुकआउट नोटिस पर रोक लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि लुकआउट नोटिस पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए है। मद्रास उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दायर भ्रष्टाचार मामले में केंद्र द्वारा कार्ति चिदंबरम एवं चार अन्य के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर पर 10 अगस्त को रोक लगा दी थी और कहा था कि ये सर्कुलर प्रथम दृष्टया अवांछित हैं।
कार्ति के अलावा उनके सहयोगी सी बी एन. रेड्डी, रवि विश्वनाथ, मोहनन राजेश और एस भास्कर रमण को भी अंतरिम राहत मिली है। अदालत ने कहा था कि पूछताछ के लिए 29 जून को पेश होने के लिए कार्ति को सीआरपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत नोटिस भेजे जाने के मात्र एक दिन बाद यह सर्कुलर जारी किया गया। यह…अदालत के अनुसार प्रथमदृष्टया अवांछित है।
SC asked Karti Chidambaram to appear before the probe agency, CBI, in INX media Foreign Investment Promotion Board (FIPB) clearance case
— ANI (@ANI) August 14, 2017
गृह मंत्रालय के तहत आव्रजन ब्यूरो एवं विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने पिछली 16 जून को कार्ति और 18 जुलाई को चार अन्य के खिलाफ सर्कुलर जारी किए थे। कार्ति ने याचिका में कहा है कि लुकआउट सर्कुलर केंद्र सरकार की बदले की राजनीति का हिस्सा है और उन्हें विदेश जाने से रोकने के लिए अधिकार क्षेत्र के बिना मनमाने तरीके से इसे जारी किया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मामले में सीबीआई के जारी समनों का उत्तर दिया था और सर्कुलर जारी करने का कोई ठोस कारण नहीं था।
यह मामला वर्ष 2007 में विदेशों से फंड हासिल करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।