सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में भूजल के अत्यधिक दोहन पर मंगलवार (8 मई, 2018) को चिंता व्यक्त करते हुए प्राधिकारियों से कहा कि इस संकट को टाला जाए। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने मई 2000 से मई 2017 के दौरान दिल्ली में भूजल स्तर की स्थिति पर केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि यह बहुत ही दुखद तस्वीर का संकेत दे रही है और स्थित गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पानी का स्तर राष्ट्रपति भवन के आसपास भी काफी नीचे चला गया है। संबंधित विभाग क्या कर रहे हैं। लगता है कि हम राष्ट्रपति को भी पानी देने में सक्षम नहीं हैं। बिरला मंदिर को भी पानी नहीं मिल पा रहा है।

पीठ ने रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि 2013 के भूजल संसाधन के अनुमान के आधार पर हर साल 0.5 मीटर से लेकर दो मीटर से अधिक की दर से जल स्तर कम हो रहा है। पीठ ने कहा कि यह काफी स्पष्ट है कि दक्षिण जिले, नई दिल्ली जिले, दक्षिण पूर्वी जिले, पूर्वी जिले, शाहदरा, उत्तर पूर्वी जिले और में भूजल के अत्यधिक दोहन हुआ है और लगभग शेष दिल्ली में यह अर्द्धसंकट वाली स्थिति में है। पीठ ने कहा कि पश्चिमी जिले और मध्य जिले के कुछ हिस्से ही लगता है कि अभी सुरक्षित हैं। हम दिल्ली के शासन से सरोकार रखने वाले प्राधिकारियों से सिर्फ यह अनुरोध कर सकते हैं कि वे जल संकट टालने के लिए इस रिपोर्ट पर गौर करें।

शीर्ष अदालत ने जल संसाधन मंत्रालय के सचिव, दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा कि वे इस स्थित के संभावित समाधान के बारे में उसे अवगत करायें। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद न्यायालय ने कहा कि इसका अधिक गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है क्योंकि यह काफी चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही है।