राष्ट्रीय विद्यालय द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य समारोह का समापन मशहूर नाटककार विजय तेंदुलकर के नाटक ‘घासीराम कोतवाल’ से हुआ। इसका निर्देशन राजिंदर नाथ ने किया। ‘घासीराम कोतवाल’ में नाना फड़नवीस एक अहम पात्र है। इस भूमिका में रंगमंडल प्रमुख सुरेश शर्मा हैं जो पिछले 16 सालों से इस पद पर हैं।

उन्होंने नाना की भूमिका के साथ न्याय बरता है। घासीराम की भूमिका निभा रहे युवा अभिनेता शाहनवाज खान ने भी पिछले साल की अपेक्षा खुद को काफी तराशा है। गुलाबीबाई की भूमिका निभा रही युवा अभिनेत्री अंकिता गोसाई ने अपनी देहभाषा और भाव-भंगिमाओं पर काम नहीं किया है। गुलाबीबाई एक गणिका है जिसके पास नाना साहब अक्सर जाते हैं। अंकिता की लावणी में वह ऊर्जा, वह जोश, वह भाव-भंगिमाएं और देहभाषा दर्शकों को खटकती है जो गुलाबीबाई की भूमिका में पिछले साल अभिनेत्री इप्शिता सिंह और दक्षा शर्मा को देख चुके हैं।
वेशभूषा की बात करें तो दो दिन के शो में तो सब ठीक था पर एक दिन गणेश जी की भूमिका निभा रही अभिनेत्री अपराजिता डे की धोती मंच पर ही ढीली हो गई थी और गणेश जी मंच पर अपनी धोती पकड़कर नृत्य कर रहे थे और दर्शकों के ठहाके रुक नहीं रहे थे। वैसे भी, इस बार रंगमंडल कलाकारों की पूरी टीम में वह जोश, उत्साह नजर नहीं आई जो पूर्व के रंगमंडल कलाकारों में थी।