पढ़ाई को आनंद यानी फन से जोड़ने और बच्चों की छिपी प्रतिभा को सामने लाने के मकसद से केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने महीने के दूसरे शनिवार को छोड़कर बाकी शनिवार को ‘आनंदवार’ मनाने का फैसला किया है। इस दिन विद्यार्थी बिना किताब-कॉपियों के विद्यालय आएंगे और पढ़ाई से दूर रहकर अपने मनपंसद कार्य करेंगे। गर्मियों की छुट्टियों के बाद यह योजना पूरे देश के केंद्रीय विद्यालयों में लागू कर दी जाएगी। केवीएस के अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक) यूएन खवाड़े ने बताया कि पढ़ाई बोझिल न बने इसके लिए हमने हर शनिवार (महीने के दूसरे शनिवार को छोड़कर)‘आनंदवार’ मनाने का निर्णय लिया है।
उस दिन बच्चे पूरी तरह से पढ़ाई से दूर रहेंगे और अपने पसंद के कार्य करेंगे। इसके साथ ही बच्चों को सांस्कृतिक गतिविधियां, कौशल विकास, खेलों की कोचिंग और भाषिक गतिविधियां कराई जाएंगी। इससे बच्चों के ऊपर से पढ़ाई का बोझ कम होगा और उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। खवाड़े ने बताया कि हमारे विद्यालयों में पांचवीं तक के विद्यार्थियों की हर शनिवार की छुट्टी होती है, लेकिन शिक्षक आते हैं। ऐसे में हमने सोचा, इस दिन को बच्चों के मानसिक, कौशल, भाषिक आदि विकास के लिए क्यों न उपयोग में लाया जाए। इसके बाद इसकी योजना बनी और जयपुर में ‘आनंदवार’ का सफलतापूर्वक संचालन भी किया जा रहा है। अभी यह योजना पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए ही शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके तहत हर शनिवार को 90-90 मिनट के चार सत्र आयोजित होंगे जिनमें विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। ‘आनंदवार’ में कक्षा की अवधारणा को भी तोड़ने की कोशिश की जाएगी। इसमें कई कक्षाओं या सेक्शन को जोड़कर संयुक्त रूप से गतिविधियां कराई जाएंगी। इस दौरान जो भी गतिविधियां होंगी, वे कार्यशाला की तरह आयोजित होंगी।
चार सत्रों में बंटेंगे दिन
पहला सत्र (सांस्कृतिक गतिविधियां) : इसमें नाच, गाना, भाषण, संगीत, नाटक, पेंटिंग, लेखन, कविता पढ़ना आदि गतिविधियां कराई जाएंगी। जिस बच्चे की रुचि जिस गतिविधि में होगी, उसे वही कराई जाएगी।
दूसरा सत्र (क्लब गतिविधियां) : केंद्रीय विद्यालयों में कई तरह के क्लब होते हैं, जैसे पर्यावरण क्लब, स्काउट क्लब आदि। इस सत्र में क्लब की गतिविधियां कराई जाएंगी।
तीसरा सत्र (खेल गतिविधियां) : इसमें अलग-अलग तरह के खेल खेलाए और सिखाए भी जाएंगे। इसके लिए खेल शिक्षक और कोच की मदद भी ली जाएगी।
चौथा सत्र (कौशल विकास गतिविधियां) : इसमें बागवानी, मिट्टी के बर्तन आदि के तरीके बताए जाएंगे। बच्चों को बताया जाएगा कि इन कार्यों को करने वाले लोग कितने जरूरी हैं और वे कितनी मेहनत से यह करते हैं।
