लाल किले की चारदीवारी के ठीक बाहर सालों से चाय बेचकर गुजारा करने वाले निजामुद्दीन को हैरानी इस बात की हो रही है कि वे समारोह देखने से ही वंचित नहीं कर दिए गए, बल्कि समारोह चलने तक लाल किले से सटे मोहल्ले अंगूरीबाग स्थित अपने किराए के घर तक से बाहर नहीं निकल पाए। सुरक्षा कारणों की वजह से दिल्ली पुलिस ने ऐसे सभी लोगों को घर बाहर निकलने से मना कर दिया था जो यहां रहते हैं। निजामुद्दीन ने बताया कि उनके पहचानपत्र भी पुलिस ने परसों ही लेकर जमा करा लिए थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाहर से यहां आकर काम करने व किराए पर रहने वालों के पहचान पत्र पुलिस के पास जमा हैं। कानून तो मानना ही पड़ेगा, कहते हुए वे बताते हैं कि गनीमत थी कि प्रधानमंत्री के संबोधन को वे यहां लगे स्पीकर से कुछ सुन पा रहे थे। प्रधानमंत्री का काफिला गुजर जाने के बाद उनको अपना दरवाजा खोलने की अनुमति दी गई थी।
यहीं पर करीब 25 साल से पान की दुकान चलाने वाले बीपी मिश्र ने बताया कि वे आज तक समारोह मे शरीक नहीं हुए। उनकी दुकान 13 तारीख से बंद करवा दी गई। क्योंकि यहां पूर्वाभ्यास भी किया जाना था। वे बाताते हंै कि पुराने पुल से लेकर रेलवे लाइन तक का पूरा इलाका एक एक पाइप व बिजली के बाक्स तक सील रहते हैं। ऐसे मे हम कहां हिम्मत करें।
लाल किले से सामने के पीपल के पेड़ को अपना पता बताने वाले शुन्नी व महेश ने बताया कि उनको पिछले तीन दिन से गुरुद्वारे के बाहर रात गुजारने को मजबूर हैं। जहां उन्होंने सुबह लगे बड़े से पर्दे (स्क्रीन)पर प्रधानमंत्री का भाषण सुना। पर मायूसी से बताते हैं कि इसमें कुछ ऐसा मसझ में नहीं आया जिससे लगता कि इससे उनके रेसर या सिंगर बनने का सपना पूरा करने का कोई रास्ता मिलता है। गांजे का नशा करने वाले दोनों बच्चे कहते हैं कि वे नशा छोड़कर कलाकार बनना चाहते हैं पर डरते हंै कि उनको बदमाश लोग ऐसा करने नहीं देंगे।
जैसे ही वीआइपी का काफिला यहां से गुजरा बैरिकेड हटे, उसके बाहर जमा लोगों का रेला सा लालकिले की ओर बढ़ आया लेकिन वे किले से दूर ही रोक दिए गए क्योंकि किला भी बंद है। बहादुर गढ़ से समारोह व लाल किला देखने आए जितेंद्र बताते हैं कि वे समारोह देखने से वंचित रह गए। उन्हें पहले आजादपुर में गाड़ी रोके जाने से देरी हुई। पैदल चल कर सदर पहुंचे, टेंपो लिया लेकिन वह भी काफी पहले रोक दिया गया। वे हौरान होकर कहते है कि सुरक्षा कारणों और पास न होने की वजह से उनको अंदर जाने नहीं दिया गया। वे करीब पांच दोस्तों के साथ यहां आए थे। आजादपुर से आए कक्षा छह में पढ़ने वाले आकाश को जैसे ही किला बंद होने की सूचना मिली उनके मुंह से यही निकला क्यों? आज तो 15 अगस्त है, आजादी का दिन!

