सीरीफोर्ट ऑडिटोरियम में मंगलवार को जैसे ही अमेरिका राष्ट्रपति की जीवनसंगिनी मिशेल ओबामा के आगमन का एलान हुआ, सभागार में आरक्षित सीटों पर बैठे विशाल और खुशबू अहिरवार अपनी जगह से खड़े हो गए। जनसमूह ने खड़े होकर मिशेल का गर्मजोशी से स्वागत किया, उन्होंने दोनों भाई-बहन को गले लगा लिया और उनके बीच विराजमान हो गईं। और उधर मंच से राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 16 साल के विशाल को पहचान कर उसे नाम से बुलाया और खास संस्मरण सुनाया।

असल में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं था। उन्होंने चार साल पहले हुमायूं के मकबरे की यात्रा के दौरान वहां कुछ मजदूरों के साथ विशाल को काम करते देखा था। आज ओबामा ने विशाल को देखने के बाद कहा, आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूं। यहां अपनी पिछली यात्रा के दौरान हम हुमायूं का मकबरा देखने गए थे। वहां हमने कुछ मजदूरों को देखा, जो इस देश की प्रगति की रीढ़ हैं। हम उनके परिवारों और बच्चों से भी मिले, जिनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कराहट खिली हुई थी। इन्हीं बच्चों में विशाल नाम का एक लड़का भी था। और आज विशाल 16 बरस का है और अपने परिवार के साथ दक्षिण दिल्ली के एक गांव में रहता है।

उसकी मां हुमायूं के मकबरे पर काम करती है। उसकी बहन खुशबू पढ़ती है और शिक्षिका बनना चाहती है। उसका भाई दिहाड़ी मजदूर के तौर पर अपनी आजीविका कमाता है और उसके पिता मिस्त्री का काम करते हैं ताकि विशाल स्कूल में पढ़ सके। उसे कबड्डी पसंद है। ओबामा ने विशाल और उसके परिवार का परिचय इन शब्दों में कराया।

उन्होंने कहा, विशाल सेना में जाना चाहता है। हमें उस पर गर्व है और वह यहां की प्रतिभा की मिसाल है। विशाल के सपने भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं, जितने माल्यिा और साशा (ओबामा की बेटियां) के सपने हैं।

बाद में विशाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह इस बात से खुश है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उसका नाम लिया। उसने कहा, आज मैं खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। उन्होंने हमें प्रेरणा दी।

ओबामा के इस परिचय के दौरान सभी का ध्यान विशाल की तरफ था और लोगों का तालियां बज रही थीं। विशाल खुशी से भरा हुआ था। मिशेल का हाथ उसके कंधे पर था। उसने कहा, मैं आज वाकई बेहद खुश हूं। खुश इसलिए कि उन्होंने मुझे याद किया और लोगों के बीच जिक्र किया।

विशाल ने बताया कि राष्ट्रपति ने मुझे और मेरे घरवालों को उपहार दिए। इन उपहारों मे पेन, चाकलेटऔर मैडल थे जिनमें राष्ट्रपति के दस्तखत और वाइट हाउस की छाप थी। विशाल ने बताया कि 22 जनवरी को अमेरिकी दूतावास की ओर से उसके पास फोन आया कि वह और उसकी बहन ओबामा दंपति से मिल सकते हैं। मेरा पहला जवाब उत्साह में था, लेकिन जैसे-जैसे दिन करीब आता गया, मेरा उत्साह तनाव में बदल गया। मुलाकात को लेकर मैं घबराया हुआ था।


2010 में विशाल ओबामा दंपति के साथ।

 

विशाल के अनुसार, जैसा कि निर्देश था, उनकी मुलाकात को एकदम गुप्त रखा गया था। लेकिन उनके पिता रामदास अहिरवार को दिल्ली आने के लिए कहा गया था। अहिरवार उज्जैन में राजमिस्त्री का काम करता है और 400 रुपए रोज कमाता है। रामदास ने बताया कि मैं अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा बच्चों के पास भेज देता हूं। मेरी इच्छा है कि मेरे बच्चों का भविष्य अच्छा हो। विशाल की बहन खुशबू बुदेलखंड विश्वविद्यालय से बीए कर रही है।


मंगलवारको सीरीफोर्ट प्रेक्षागृह में

 

विशाल और खुशबू ने ओबामा दंपति को भगवान शिव की एक पेंटिंग भेंट की, जो उनके पिता उज्जैन से लेकर आए थे। भाई-बहन का कहना है कि अब वे अपना ई-मेल एकाउंट खोलेंगे, ताकि ओबामा दंपति से संपर्क बना रहे। विशाल ने बताया कि ओबामा और मिशेल ने कहा कि वे पेंटिंग का उपहार देने पर धन्यवाद-पत्र भेजेंगे, इसीलिए हमें अपने ई-मेल आइडी की जरूरत है।