भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता से पहले दोनों देशों के गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने आतंकवाद के वित्त पोषण और साइबर सुरक्षा में आतंकवाद रोधी सहयोग समेत छह क्षेत्रों में आपसी सहयोग के मसविदे पर सहमति कायम की है। हालांकि, इस वार्ता में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को लेकर ‘संचार अनुरूपता एवं रक्षा संधि’ (कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट या ‘कॉमकासा’) पर दस्तखत के आसार कम हैं। वजह, दोनों देशों के अधिकारी दो महत्त्वपूर्ण बिंदुओं-आतंकवाद रोधी पहल और खुफिया सूचनाएं साझा करने को लेकर फिलहाल राजी नहीं हुए हैं। इन विषयों पर बातचीत 2+2 वार्ता के अगले संस्करण तक जारी रहेगी।

कॉमकासा को लेकर सहमति नहीं बनने के कारण 2+2 वार्ता शुरू होने से पहले खटास उभरी है। हालांकि, दोनों देशों के अधिकारी बातचीत जारी रखने और भविष्य में कोई विशेष प्रारूप तैयार करने पर सहमत हुए हैं। एजंडा तय करने के लिए दोनों देशों के गृह मंत्रालयों के अधिकारियों की बातचीत सोमवार को खत्म हुई। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘कॉमकासा के पूर्ण प्रारूप को लेकर बातचीत जारी रहेगी। 2+2 वार्ता के बाद कुछ घोषणाएं होंगी। इसके बाद दोनों देशों के कानूनी सलाहकार मसविदे पर काम करेंगे।’

अधिकारियों की बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव रजनी शेखरी सिब्बल जबकि अमेरिका की ओर से गृह सुरक्षा विभाग में उपमंत्री जेम्स मैक्सीमेंट ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। छह सितंबर को नई दिल्ली में हो रही 2+2 वार्ता में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जिम मैटिस अहम कूटनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर भारत के साथ भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच जिन छह क्षेत्रों में सहयोग कायम करने पर सहमति का मसविदा तैयार किया गया है, वे हैं- 1) अवैध वित्त पोषण, नकदी की अवैध तस्करी, वित्तीय जालसाजी, 2) साइबर सूचना, 3) मेगासिटी पुलिसिंग और संघीय राज्य एवं स्थानीय एजंसियों के बीच सूचना को साझा करना, 4) वैश्विक आपूर्ति शृंखला, परिवहन, बंदरगाह, सीमा और समुद्री सुरक्षा, 5) क्षमता निर्माण और 6) तकनीकी आधुनिकीकरण।

बैठक के दौरान कॉमकासा के अहम विषयों- आतंकवाद रोधी पहलों और खुफिया सूचनाओं को साझा करने से संबंधित मामलों में सहयोग पर जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए बातचीत कायम रखने पर भी सहमति जताई। भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत की शुरुआत 2010 में की गई थी। अमेरिका ने भारत को अपना महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी (एमडीपी) घोषित कर रखा है, जिसके तहत रक्षा संधि पर बात आगे बढ़ी है।
दरअसल, भारत की रूस के साथ चल रही एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीद को लेकर अमेरिका आपत्ति जता रहा है। छह सितंबर की वार्ता पर इस सौदे की छाया पड़ने लगी है। रूस अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जिस कारण इस सौदे को लेकर अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है। विदेश एवं रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, भारत सरकार इस वार्ता में रूस के साथ सौदे को लेकर अमेरिकी मंत्रियों को अवगत कराएगी और बताएगी कि यह सौदा भारत के लिए जरूरी है। अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि कोई रास्ता निकल आएगा।

‘कॉमकासा’ से क्या मिलेगा

कॉमकासा पर दस्तखत से भारत को अमेरिका से साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी एनक्रिप्टेड रक्षा तकनीक और आयुध प्रणाली खरीदने की अनुमति मिल जाएगी। भारत को नाटो सहयोगियों की तरह का दर्जा मिल जाएगा।