सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गा प्रसाद ने कश्‍मीर में प्रदर्शन के दौरान पैलेट गन से घायल हुए लोगों पर चिंता जताते हुए कहा कि वे घायल युवकों के लिए दुखी है लेकिन गैर जानलेवा कोई हथियार नहीं है। साथ ही कहा कि सुरक्षा बलों के पास पैलेट गन ही सबसे कम जानलेवा हथियार है। उन्‍होंने कहा कि सभी जवानों को घुटने से नीचे फायर करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रसाद ने कहा कि सीआरपीएफ के सभी जवाब घाटी में तैनात हैं। यहां पर तकरीबन 114 कंपनियां और 11 हजार से ज्‍यादा सीआरपीएफ कर्मी तैनात है। इन्‍हें बीच ट्रेनिंग में से लाकर यहां तैनात किया गया है। उन्‍होंने कहा, ”लगातार तैनाती से हमारी सालाना ट्रेनिंग को नुकसान हुआ है। आज हमारी सभी ट्रेनिंग कंपनियां कश्‍मीर में हैं। दूसरे राज्‍यों की ट्रेनिंग कंपनियों को भी बुलाया गया है।”

पैलेट गन के उपयोग पर उन्‍होंने कहा, ”हमें उनके लिए दुख है क्‍योंकि पैलेट गन की फायरिंग की चोटों का सामना उन्‍हें करना पड़ा है। हम खुद भी कम से कम इसका उपयोग करना चाहते हैं। लेकिन स्थिति के नियंत्रण से बाहर होने पर हमें ऐसा करना पड़ता है।” 15 दिन पहले हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से सीआरपीएफ अब तक 2012 पैलेट कार्ट्रिज फायर कर चुकी है। प्रसाद ने कहा, ”जब नौजवानों को चोट लगती है तो सबको बुरा लगता है। हम स्थिति काबू से बाहर होने पर इसका उपयोग करेंगे। हमें उम्‍मीद है कि भविष्‍य में ऐसा नहीं होगा।”

कश्‍मीर में पथराव में सीआरपीएफ के 1000 जवान भी घायल हुए हैं। घायल जवानों के लिए प्रसाद ने अतिरिक्‍त आर्थिक मदद का एलान किया। उन्‍होंने बताया कि हल्‍की चोट पर 4000 रुपये दिए जाएंगे। अस्‍पताल में भर्ती होने वालों को 25 हजार, गोली लगने वालों को 50 हजार और स्‍थाई अपंगता होने पर एक लाख रुपये दिए जाएंगे।