आइएनएस चक्र के बाद भारतीय नौसेना के बेड़े को रूस से जल्द ही एक और परमाणु पनडुब्बी मिलेगी। लंबी बातचीत के बाद रूस ने यह पनडुब्बी देने के लिए हामी भरी है, जिसकी कीमत दो अरब डॉलर होगी। गोवा में 15 अक्तूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर भारत-रूस शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद कई रक्षा सौदों के लिए समझौते पर दस्तखत किए गए, जिनमें एक परमाणु पनडुब्बी का भी सौदा था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसका एलान नहीं किया गया। रक्षा मंत्रालय और नौसेना ने इस विषय पर कोई सूचना मुहैया नहीं कराई, क्योंकि यह प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रत्यक्ष दायरे में आने वाला एक रणनीतिक विषय था। रूसी दैनिक ‘वेदुमोस्ती’ के स्तंभकार एलेक्सी निकोलस्की ने अपने कॉलम में इस सौदे का खुलासा करते हुए लिखा, रूसी रक्षा उद्योग के एक सूत्र के अनुसार रूसी नौसेना द्वारा भारत को बहुउद्देश्यीय परियोजना 971 परमाणु पनडुब्बी देने की लीज पर गोवा में हस्ताक्षर हुआ, जिस पर बातचीत लंबे समय से चल रही थी।’ अकुला- दो श्रेणी की पनडुब्बी के वर्ष 2020- 2021 में भारत को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।


भारतीय नौसेना में पहले से ही अकुला-दो श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी काम कर रही है, जिसे रूस से मिलने के बाद ‘आइएनएस चक्र’ का नाम दिया गया। इसे के- 152 नेरपा के तौर पर जाना जाता था। इसे रूस ने 10 वर्ष की लीज पर दिया था और इसे चार अप्रैल 2012 को सेवा में शामिल किया गया था।
अकुला- दो श्रेणी की पनडुब्बी हालांकि विश्व की तेजी से हमला करने वाली परमाणु चालित नवीनतम श्रेणी की पनडुब्बियों में शुमार नहीं है, लेकिन इसे उन्नत पनडुब्बियों में से एक माना जाता है। पानी के भीतर 35 नॉट (करीब 65 किलोमीटर प्रतिघंटा) की गति से यह पनडुब्बी सबसे कम आवाज करती है।
भारत दूसरी परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेने का इच्छुक था। भारतीय रक्षा सूत्रों ने बताया कि रूस ने परमाणु पनडुब्बी की लीज के सौदे के साथ चार स्टील्थ पोतों की खरीद का समझौता भी जोड़ दिया। गोवा में भारत और रूस ने तीन अरब डॉलर से अधिक के पोत सौदे की घोषणा की थी। समझौते के तहत दो स्टील्थ पोतों का निर्माण रूस में होगा, जबकि दो का निर्माण भारत में लाइसेंस उत्पादन के तहत होगा।