टोल नाकों पर बिना टैग वाली गाड़ियों और फास्टैग वॉलेट में कम पैसे होने पर दोगुना टोल लिया जा रहा है। इसकी वजह से नाकों पर चालकों और वहां के कर्मचारियों के बीच रोज बहस व लड़ाई हो रही हैं। बिना फास्टैग वाले चालक नकद की लंबी कतार में लग रहे हैं। दूसरी ओर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) देश भर के टोल नाकों पर 15 फरवरी से पूरी तरह से फास्टैग व्यवस्था लागू करने जा रहा है।

गुरुग्राम में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ पर स्थित खेड़की दौला टोल पर भी ऐसी स्थिति कमोबेश हर रोज रहती है। दिन के व्यस्त घंटों के दौरान यहां पर दोनों ओर दो किलोमीटर तक जाम लग जाता है। इसकी वजह से लोगों का समय और र्इंधन बेकार जाता है। टैग रीडिंग में समस्या के अलावा फास्टैग वॉलेट में कम बैलेंस होना और बिना फास्टैग वाली गाड़ियों के फास्टैग लेन में आने से भी कतारें लंबी हो रही हैं। इस टोल पर कुल 25 लेन हैं जिनमें से छह नकद की और बाकी फास्टैग लेन हैं। 15 फरवरी के बाद सिर्फ दो नकद लेन (एक आने की और एक जाने की) रह जाएंगी।

कई बार ऐसे चालक भी फास्टैग लेन में आ जाते हैं जिनके वॉलेट में पैसे कम होते हैं। इसके बाद कर्मचारियों और चालक के बीच बहस होती है लेकिन उन्हें बाद में दोगुना टोल देना ही पड़ता है। इसके अलावा ऐसे लोग भी फास्टैग लेन में आ जाते हैं जिनकी गाड़ी पर फास्टैग लगा ही नहीं होता है और उन्हें भी दोगुना टोल देना पड़ता है।

अकसर यहां से गुजरने वाले एक ट्रक ड्राइवर श्याम वीर ने बताया कि यहां टैग रीडिंग में हर दिन समस्या होती है। बाद में टोल पर काम करने वाले लोग हाथ की मशीन से टैग स्कैन की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में दो से तीन मिनट लगते हैं और कभी कभी इससे ज्यादा भी समय लग जाता है। इसकी वजह से टोल पर जाम लगता है। खेड़की दौला टोल के प्रोजेक्ट हेड शैलेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि बड़ी संख्या में फास्टैग की गुणवत्ता सही नहीं है जिसकी वजह से रीडिंग में परेशानी होती है। इसके अलावा कुछ चालक अपने टैग को जानबूझ कर खराब करके रखते हैं।

जब गाड़ी टोल पर आती है तो फास्टैग सही से रीड नहीं कर पाता है। चालक टोल कर्मचारियों को अपने मोबाइल पर फास्टैग वॉलेट में पूरा पैसा दिखाता है। इसके बाद वहां बहस होने लगती है। इससे टोल पर कतार लंबी हो जाती है। जाम लगने के बाद लोग पुलिस को फोन करते हैं और पुलिस गाड़ियों को बिना टोल दिए निकाल देती है ताकि जल्द से जल्द जाम हट जाए। इस टोल से प्रतिदिन 85000 वाहन गुजरते हैं।

गुरुवार को बारह बजे के आसपास एक कार चालक फास्टैग लेन में घुस गया और दो गुना टोल न देने पर बहस करने लगा। चालक राजकुमार का कहना था कि पीछे कहीं नहीं लिखा है कि कौन सी लेन नकद की है और कौन सी फास्टैग की। जानकारी देने के लिए वहां पर एक छोटा सा बोर्ड लगा था जो आसानी से नजर नहीं आ रहा था।

टोल प्रोजेक्ट हेड भाटी ने बताया कि फास्टैग लेन में आने वाले बिना टैग वाले वाहनों से दोगुना टोल लिया जाता है और हर रोज करीब 3500 गाड़ियों से दो गुना टोल लिया जा रहा है जिसकी कीमत लगभग छह लाख रुपए होती है। भाटी के मुताबिक 80 फीसद चालक अब फास्टैग लेन से गुजरने लगे हैं। 15 फरवरी के लिए हर रोज गैर व्यस्त समय में दो लेन नकद की चलाकर ट्रायल किया जाता है।

टोल के रखरखाव का कार्य स्काइलार्क कंपनी करती है जबकि टोल संग्रह का कार्य मिलेनियम सिटी एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड (एमसीईपीएल) के पास है। खेड़की दौला टोल को पांचगांव ले जाने की योजना है। इसके लिए भूमि भी अधिग्रहित कर ली गई है। 30 एकड़ में बनने वाले इस टोल पर कुल 28 लेन होंगी और जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

अब नहीं मिल रही छूट
पहले की व्यवस्था में चालक के पास सिंगल या वापसी यात्रा का टोल एक साथ लेने का विकल्प होता था। हालांकि यह व्यवस्था सभी टोल पर उपलब्ध नहीं थी। वापसी यात्रा का टोल लेने पर 30 फीसद तक की छूट मिलती थी। ये छूट 24 घंटे के दौरान ही ली जा सकती थी। लेकिन फास्टैग व्यवस्था में यह सुविधा नहीं है। यदि कोई गाड़ी दस मिनट बाद भी उसी टोल से गुजर रही है तो उसे पूरा टोल देना होगा।

पंद्रह फरवरी के बाद क्या
हर नाके पर एक आने की और एक जाने की नकद लेन रहेगी। यहां चालकों से दोगुना टोल नहीं लिया जाएगा। इस व्यवस्था में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ही बदलाव कर सकता है। गुरुग्राम में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ स्थित खेड़की दौला टोल पर कुल 25 लेन हैं, जिनमें से छह नकद की और बाकी फास्टैग लेन हैं। 15 फरवरी के बाद सिर्फ दो नकद लेन रह जाएंगी।