दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और सत्तारूढ़ आप को कथित रूप से महिमा मंडित करने और विपक्ष पर आरोप लगाने वाले दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर कोई अंतरिम रोक लगाने से आज इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति वीपी वैश ने कहा, ‘‘इस याचिका के माध्यम से अंतरिम राहत का याचिकाकर्ता का आग्रह तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक मैं केन्द्र की बात सुन ना लूं कि उन्होंने (सार्वजनिक धन का दुरुपयोग रोकने के लिए) उच्चतम न्यायालय की ओर से तैयार सरकारी विज्ञापन (कंटेंट नियमन) मार्गनिर्देश 2014 का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्यीय कार्यान्वयन समिति के गठन के लिए कौन से कदम उठाए हैं।’’
न्यायाधीश ने केन्द्र को नोटिस भी जारी किया और उसे एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय इस मामले में अब तीन अगस्त को आगे सुनवाई करेगा।
अदालत ने कहा कि यह गैर सरकारी संगठन ‘न्याय पथ’ की ओर से दायर याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से पहले केन्द्र के जवाब का इंतजार करेगी।
गैर सरकारी संगठन ‘न्याय पथ’ ने अदालत से आग्रह किया था कि वह दिल्ली सरकार को हाल के टेलीविजन विज्ञापन तत्काल वापस लेने और ‘‘अरविन्द केजरीवाल की इस तरह की छवि निर्माण कवायद से परहेज करने’’ का निर्देश दे।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 12 जुलाई को एक विज्ञापन शुरू किया जिसकी टैगलाइन है ‘‘वो हमें परेशान करते रहे, हम काम करते रहे।’’
मुंबई से प्रकाशित हाल के विज्ञापन का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि वह केन्द्र, दिल्ली के उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार को इसका विज्ञापन केजरीवाल से वसूल करे जो याचिकाकर्ता के अनुसार इन विज्ञापनों में महिमामंडित किए जा रहे हैं।
खंडपीठ का मौखिक आदेश सुनने के बाद गैर सरकारी संगठन ‘न्याय पथ’ की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील चेतन शर्मा ने कहा कि अगर अदालत कोई अंतरिम स्थगन नहीं लगाना चाहती है तो याचिका को खारिज कर देना चाहिए क्योंकि जैसे ही केजरीवाल सरकार दूसरे विज्ञापन के लिए कोष आबंटित करेगी यह निरर्थक हो जाएगी।
शर्मा ने इससे पहले विज्ञापन की टैगलाइन पर एतराज जताया था और पूछा था कि ‘वो’ का क्या मतलब है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘‘क्या ‘वो’ न्यायपालिका के लिए है क्योंकि उनके कुछ नेता सलाखों के पीछे हैं या क्या यह विपक्ष या मीडिया के लिए है क्योंकि मीडिया उनसे बेरूखी बरत रहा है।’’
केन्द्र सरकार के स्थायी वकील अनील सोनी ने अदालत को कहा कि यह चिंता का मुद्दा है और उसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि इस तरह के विज्ञापनों के लिए विशाल कोष का उपयोग किया जा रहा है।’’