दिल्ली उच्च न्यायालय ने आठ साल की एक बच्ची के यौन शोषण मामले में 60 वर्षीय एक व्यक्ति की पांच साल कैद की सजा बरकरार रखी है। न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने निचली अदालत द्वारा पिछले साल दिए गए आदेश के खिलाफ दोषी की अपील को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने इस व्यक्ति को यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) कानून के तहत दोषी ठहराया था और पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि दोषी रमन कुमार के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जा सकती क्योंकि उसने बच्ची के ‘‘अकेलेपन’’ का फायदा उठाया और उसका यौन उत्पीड़न किया। इसने कहा, ‘‘अपीलकर्ता (कुमार) लगभग 60 साल का था और बच्ची लगभग आठ साल की थी जो उसकी बेटी के समान थी। कई अन्य आपराधिक मामलों में शामिल रहे अपीलकर्ता ने लगभग आठ साल की बच्ची के अकेलेपन का फायदा उठाया और उसने उसका शीलभंग करने का दुस्साहस किया।’’
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अभियोजन के अनुसार यहां के डाबड़ी थाने में मार्च 2013 में लड़की से कथित छेड़छाड़ के मामले में कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। निचली अदालत में मुकदमे के दौरान उसने आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। दोषी के वकील ने उच्च न्यायालय में दावा किया कि निचली अदालत ने सबूतों को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं लिया और लड़की ने अपनी मां के कहने पर असंगत बयान दिए। उच्च न्यायालय ने उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि जांच और सुनवाई के दौरान बच्ची द्वारा दिए गए विभिन्न बयान दर्शाते हैं कि उसने जो बात कही, वह पूरी तरह संगत थी।
अदालत ने कहा ‘‘सभी बयानों में बच्ची ने आरोपी पर निश्चित तौर पर आरोप लगाए और उसकी भूमिका साफ साफ जाहिर की है।’’ इसने कहा, ‘‘कोई भी वैध कारण नहीं है कि उसके :बच्ची के: बयान पर अविश्वास किया जाए।’’ उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता जिसके कारण बच्ची कुमार को गंभीर आरोपों में झूठा फंसाएगी ।