केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बोर्ड परीक्षाओं के त्रुटिरहित और समय से परिणाम जारी करने के लिए मूल्यांकन केंद्रों की संख्या में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। केंद्रों की संख्या पिछले साल से कितनी अधिक होगी, यह बोर्ड परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करने वाले विद्यार्थियों की संख्या पर निर्भर होगा। इस साल करीब 2200 परीक्षा मूल्यांकन केंद्र बनाए गए थे। वहीं, 50000 से अधिक शिक्षकों को मूल्यांकन के कार्य में लगाया गया था। फरवरी-मार्च में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों को त्रुटिरहित रखने और समय से नतीजे जारी करने के लिए सीबीएसई ने कमर कस ली है। इसके तहत बोर्ड ने अपने संबद्ध सभी 20,500 से अधिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों से शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों का डाटा मांगा गया है।

सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर संयम भारद्वाज के मुताबिक उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन और परीक्षा परिणाम जारी करना एक समयबद्ध कार्य है। इसके लिए सीबीएसई को प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, मुख्य अध्यापक, स्नातकोत्तर शिक्षक (पीजीटी), स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक (टीजीटी) आदि का डाटा चाहिए। हालांकि, स्कूल पहले ही इस डाटा को बोर्ड को दे चुके हैं, लेकिन सीबीएसई ने स्कूलों से इस डाटा को एक बार फिर जांचने के लिए कहा है। स्कूलों से कहा गया है कि वे बोर्ड को दी गई सूची में ऐसे शिक्षकों के नामों को हटाएं जो अब आपके स्कूल में नहीं हैं और ऐसे शिक्षकों के नामों को जोड़ें जो सूची में नहीं हैं। शिक्षकों के विषय के बारे में भी पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही सूची में शामिल सभी शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों के अनुभव को सालों में बताएं। स्कूलों से कहा गया है कि वे 30 नवंबर 2018 तक हर हाल में इस डाटा को सीबीएसई की वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध करा दें।

मूल्यांकनकर्ताओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण

सीबीएसई के पास पूरी सूची आने के बाद मूल्यांकनकर्ताओं को हर साल की तरह प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। सीबीएसई के एक सूत्र ने बताया कि मूल्यांकन के बाद अंकों की गणना में कोई गलती न हो इसके लिए मूल्यांकन केंद्रों पर विशेष रूप से गणित और कंप्यूटर शिक्षकों को तैनात किया जाएगा। साथ ही हर उत्तर पुस्तिका को दो बार जांचने जैसे प्रावधान भी किए जाएंगे।