महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने पंढरपुर शहर में स्थित एक मंदिर जाने का कल का अपना कार्यक्रम सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समुदाय के प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को देखते हुए रद्द कर दिया है। अपनी यात्रा को रद्द करने के पीछे का कारण बताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि उन्हें सोलापुर जिले के पंढरपुर के मंदिर में कल ‘आषाढ़ एकादशी’ के दिन मौजूद रहने वाले संभावित 10 लाख लोगों की जिंदगियों की चिंता है। उन्होंने बताया कि अगर उन पर पत्थर फेंकने से मराठा समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वह इसके लिए तैयार हैं । उन्होंने फैसला किया है कि वह कानून-व्यवस्था की किसी समस्या को टालने के लिए मंदिर नहीं जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं को यहां बताया, ‘‘ धमकी देने वाले लोगों के कुछ संदेशों का पता पुलिस को चला है। ये संदेश ऐसे हैं, ‘श्रद्धालुओं के बीच सांप छोड़ देंगे’, ‘ भगदड़ मचने वाली स्थिति पैदा करेंगे’। इस तरह की योजनाएं बनाई जा रही हैं। यह बेहद निराशाजनक है। भगवान विट्ठल और रुक्मिणी को सर्मिपत सोलापुर जिले के पंढरपुर मंदिर में पुराने समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार मुख्यमंत्री हर साल यहां ‘आषाढ़ी एकादशी’ के मौके पर पूजा करने पहुंचते हैं।
आज काही कारणांमुळे प्रत्यक्ष पंढरपुरात माऊलीचे पूजन करता आले नाही.
पण, वर्षा या शासकीय निवासस्थानी सपत्नीक, कुटुंबीयांसह मनोभावे, भक्तीभावे विठोबा-रखुमाईच्या त्याच मूर्तीचे पूजन केले.
दुरितांचे तिमिर जावो । विश्व स्वधर्म सूर्ये पाहो ।
जो जे वांच्छिल तो तें लाहो । प्राणिजात ॥ pic.twitter.com/OYaX3mekCH— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 22, 2018
इस साल यह एकादशी 23 जुलाई को है। कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री फड़णवीस कल होने वाली इस पूजा में हिस्सा नहीं लेंगे। मराठा समुदाय के नेताओं ने धमकी दी है कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण सहित उनकी अन्य मांग स्वीकार नहीं की जाती है तो वे इस धार्मिक कार्यक्रम में बाधा डालेंगे।