कतर्नियाघाट के जंगलों में पुलिस को आठ साल की एक बच्ची मिली है, जो हूबहू जानवरों की तरह व्यवहार कर रही है। बच्ची को देख कर मशहूर ‘जंगल बुक’ के काल्पनिक पात्र ‘मोगली’ की याद ताजा होती है। जिला अस्पताल में यह बच्ची भर्ती कराई गई है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि बच्ची डाक्टरों, नर्सों या किसी भी इंसान के पास आने पर जानवरों की तरह चिल्ला उठती है। उन्होंने कहा, ‘न वह किसी की बात समझ पा रही है और न ही उसकी बात कोई समझ पा रहा है।’ हालांकि उपचार के बाद उसमें सुधार हो रहा है। बच्ची के शरीर पर जख्म के निशान हैं, जिससे लगता है कि वह जानवरों के साथ कुछ दिन रही है। जनवरी में लकड़ी बीनने गए गांव वालों ने मोतीपुर रेंज में दर्जनों बंदरों से घिरी इस बच्ची को देखा था। उसे बचाने की नीयत से निकट जाने की कोशिश की तो बंदरों ने बच्ची को घेर लिया और गांव वालों पर हमलावर हो गए। तब गांव वालों ने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने किसी तरह बच्ची को वहां से निकाल कर जिला अस्पताल में भर्ती कराया।
अपर पुलिस अधीक्षक दिनेश त्रिपाठी ने गुरुवार को बताया कि अस्पताल में भर्ती इस बच्ची के माता पिता के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। उसके हाव भाव देख कर लगता है कि वह बंदरों के बीच लंबे समय से रह रही थी। बच्ची जंगल में नग्न अवस्था में बंदरों के बीच पाई गई थी। उसके बाल और नाखून बढेÞ हुए थे। शरीर पर कई जगह जख्म थे। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता बच्ची का समुचित इलाज कराना और उसके माता पिता को खोजना है। पर्यटकों के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाने वाला कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग लुप्तप्राय वन्यजीवों और प्रजातियों के लिए अभयारण्य माना जाता है। यहां बीचों-बीच जंगल में बंदरों के झुंड के बीच बच्ची के मिलने की हर जगह चर्चा हो रही है। बीती जनवरी में अभयारण्य के नजदीक बसे बिछिया गांव के पास जंगल में घूम रहे लकड़हारों को जब बच्ची दिखाई पड़ी तो उन्हें कौतुहल हुआ और नजदीक जाने का प्रयास किया लेकिन बंदरों की गुर्राहट से वे सहम गए। यह जानकारी स्थानीय वन्य जीवरक्षकों और पुलिस विभाग को मिलती रही लेकिन नजदीक जाने व जानने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। उन्होंने भी स्थानीय थाने को सूचित किया।
हाल में पुलिस ने काफी मशक्कत कर बच्ची को बंदरों के घेरे से निकाला। उस समय 100 नंबर की पुलिस का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधिकारी का कहना है कि बालिका बुरी तरह जख्मी थी और वह खुद भी बंदरों जैसी हरकत कर रही थी। वह रह-रह कर गुर्राहट की आवाज निकाल रही थी। पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्होंने बच्ची को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिहींपुरवा में भर्ती कराया और इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी। बाद में हालात खराब होते देख स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे जिला मुख्यालय स्थित जिला चिकित्सालय बहराइच के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया और अपनी देखरेख में बच्ची का उपचार करने के साथ उसे सामान्य जिंदगी जीना सीखा रहे हैं।जिला चिकित्सालय में बच्ची की देखभाल कर रही नर्सों का कहना है कि भर्ती कराते समय बच्ची की हालत बदतर थी। जगह-जगह चोट लगी हुई थी। शुरू में बच्ची कुछ खाती पीती नहीं थी और बंदरों जैसी हरकत करती थी, लेकिन धीरे-धीरे वह सामान्य हो रही है। ठीक से भोजन करना सीख रही है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा वीके सिंह का कहना है कि बच्ची की हालत सामान्य हो रही है। हालत बेहतर होने पर उसे प्रशासन के सहयोग से चाइल्ड होमलाइन के सुपुर्द किया जाएगा। जिला चिकित्सालय में बच्ची को देखने कई लोग आ रहे हैं।