बिडंबना देखिए एक मां के तीन बेटे है। लाड-प्यार से पाला पोशा। शादी-ब्याह किया। सोमवार दोपहर उसकी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। तो तीनों बेटे मां की लाश को कंधा देने तैयार नहीं है। उस मां की लाश भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में तीन दिनों से पड़ी है। मगर उनकी लाश लेने परिवार का कोई सदस्य नहीं आ रहा है। बल्कि महिला की मौत के बाद घरवालों ने अस्पताल प्रशासन को लिख कर दे दिया कि हमें लाश नहीं चाहिए। सरकारी नियम के तहत शव का अंतिम संस्कार करवा दिया जाए।
खून के रिश्तों का खून होते इस तरह शायद किसी ने न सुना न देखा होगा। कैसा दौर आया है। यह बुजुर्ग महिला भागलपुर डिवीजन के बांका ज़िले के धौरैया ग़ांव की रहने वाली है।और संपन्न परिवार की है। अस्पताल के कोरोना नोडल अधिकारी डा. हेमशंकर शर्मा कहते है कि परिवार के लोगों ने लिखकर दिया है। जिसमें लाश लेने से इंकार किया है। ऐसे में लाश को हिफाजत से पैक कराकर शव गृह में रखा गया है।
72 घंटे के बाद सरकारी नियमों के तहत अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। यहां बता दें कि लाबारिश लाशों को इस तरह 72 घंटे रखकर अंतिम संस्कार कराने का नियम है। दुखद पहलू यह है कि भरापूरा परिवार होते हुए कोरोना ने तीन बेटों की मां को मौत के बाद लाबारिश बना दिया।
दरअसल 70 साल की इस महिला की तबियत खराब होने की शिकायत को लेकर उसे भागलपुर जेएलएन मेडिकल कालेज अस्पताल में रविवार देर रात भर्ती कराया गया था। उसे भर्ती कराने घर वाले साथ आए थे। महिला के कोरोना के लक्षण देख उसकी जांच के लिए नमूना लिया गया। मगर रिपोर्ट आने के पहले ही उसकी सोमवार दोपहर मौत हो गई। बाद में रिपोर्ट पोजेटिव आई तो तीनों बेटों समेत परिवार के लोगों ने किनारा कर लिया।
जबकि बताते है कि भरापूरा परिवार है। बेटों की भागलपुर शहर में मिठाई की अच्छी-खासी दुकान है। हरतरह से सक्षम है। फिर भी महामारी ने अपनों से दूर कर दिया। रिश्ते तारतार हो गए। अस्पताल प्रशासन को भरोसा है कि ईश्वर सदबुद्धि देंगे तो परिजन लाश लेने आ सकते है।
