एक वक्त खूंखार डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर देश दुनिया मे कुख्यात रही चंबल घाटी आज प्रवासी पक्षियों की खासी तादाद मे मौजूदगी के कारण गुलजार हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक चंबल में कम से कम एक लाख के आसपास प्रवासी पक्षी पहुंचे हुए हैं।
शुभ संकेत मानते हैं वन अधिकारी
चंबल अभयारण्य के डीएफओ संजीव कुमार बताते हैं कि नवंबर से ही पक्षियों के आने की शुरुआत एक अच्छा संकेत है। यहां में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा म्यांमार पक्षी आ रहे हैं। इनकी उचित देखभाल की व्यवस्था की गई है। ऐसे इंतजाम किए गए हैं कि इन्हें कोई परेशानी न हो ।
425 किलोमीटर क्षेत्रफल का आर्कषण
यहां की वादियों में विदेशी पक्षियों का कलरव गूंज रहा है। 425 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस सेंचुरी में हवासीर (पेलिकन), राजहंस (फ्लेमिंगो), समन (बार हेडेटबूल) जैसे विदेशी पक्षी चार महीने मार्च तक यहीं डेरा जमाए रहेंगे। इन आकर्षक पक्षियों को देखने वालों की तादाद भी दिन व दिन बढ़ती जा रही है।
तीन राज्यो मे फैला है अभयारण्य
दुर्लभ जलचरों के सबसे बड़े संरक्षण स्थल के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए चंबल अभयारण्य को इटावा आने वाले पर्यटक देख पाने में कामयाब होंगे। इससे जुड़े बड़े अफसर ऐसा मान करके चल रहे हैं कि तीन राज्यों में फैले अभयारण्य का महत्त्व इतना है कि इसमें डॉल्फिन, घड़ियाल, मगर और कई प्रजाति के कछुए तो हमेशा रहते ही साथ हैं। कई प्रवासी पक्षी भी साल भर रह करके चंबल की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं।
संख्या में वृद्धि की संभावना
सोसायटी फॉर कंजरवेशन आॅफ नेचर के सचिव पर्यावरण प्रेमी संजीव चौहान ने आशा जताई कि इस बार चंबल में प्रवासी पक्षियों की संख्या में काफी वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि इस बार अब तक प्रवासी पक्षियों में कामनटील, नार्दन शिवेलर, ग्रेट कारमोरेंट, टफटिड डक, पोचार्ड आदि दजर्नों प्रजातियों के सुंदर संवेदनशील पक्षी यहां पहुंच चुके हैं। इसके अलावा इटावा के छोटे-छोटे वेटलैंडों के अलावा खेत खलिहानों व यमुना क्वारी, सिंधु जैसी नदियों में भी प्रवासी पक्षियों के झुंड आकर्षण बने हुए हैं।
इनसेट
आए हैं यह प्रवासी पक्षी
हवासीर (पेलिकन)
राजहंस (फ्लेमिंगो)
समन (बार हेडेटबूल)
सुरखाव (ब्रामनीडक)
स्पूनवी हॉक
लार्ज कारमोरेन
स्मॉल कारमोरेन
डायटर (स्नेक वर्ड)