माहवारी स्वच्छता दिवस पर मंगलवार को दिल्ली में कई संगठनों ने सरकार से मांग की कि वह प्रधानमंत्री के सफाई अभियान की तरह ही माहवारी स्वच्छता अभियान भी शुरु करे। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की अगुआई में दर्जन भर संगठनों व दिल्ली के सुधार कैंपों की बड़ी होती बच्चियों व महिलाओं ने इस मौके पर ‘सेनेटरी पैड’ को बाजार की महंगी वस्तु बनने से रोकने के लिए उसे गृह व लघु और हस्त उद्योग से जोड़ देने की मांग की। साथ ही शौचालय बनाने की तरह ही एक समग्र परियोजना चलाए जाने पर भी बल दिया जिसमें ‘सेनेटरी पैड’ को समुदाय में ही बनाने, उसके उपयोग के बाद समुदाय में ही जला कर उसे निपटाने, सुरक्षित और स्वच्छ शौचालय के साथ पर्याप्त पानी और कूड़ेदान मुहैया कराने की व्यवस्था हो। इस बाबत दिल्ली में कार्यशालाओं का भी आयोजन हुआ, जिसमें दिल्ली के सामुदायिक कालोनियों व सुधार कैंपों के सामान्य व विशेष और दिव्यांग बच्चियों में माहवारी के मिथक को तोड़ने की पहल हुई। दिल्ली के 10 कैंपों की 75 लड़कियों ने इसमें विशेष रूप से शिरकत की।

कार्यशाला में आइसीडीएस की पूनम त्रिपाठी ने कहा कि इस प्राकृतिक और जैविक प्रक्रिया को लेकर स्वच्छता प्रबंधन जरूरी है। सीफार की जूही जैन ने कहा कि सभी लड़कियों को इसे लेकर आत्मविश्वास से निपटने में सक्षम बनाने व झिझक मिटाने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता अखिला ने कहा कि दिव्यांगता वाली और कमजोर समुदायों की लड़कियों, किशोरियों के लिए एक सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन अभियान की जरूरत है। इस्तेमाल के बाद सेनेटरी पैड के बेहतर निपटारे पर भी बात हुई। नेपाली कैंप की मूक बधिर किशोरी नेहा ने सांकेतिक भाषा का उपयोग यह बताने की कोशिश की समाज में उनके जैसे लड़कियों को कैसी परेशानी आती है।

दिव्यांग जनों और खासकर कमजोर तबके की महिलाओं के लिए मासिक धर्म के प्रबंधन के किस तरह के इंतजाम की जरूरत है। एक समावेशी कार्यक्रम शुरू करने की मांग उठी ताकि विशेष जरूरतों वाली लड़कियां भी सशक्त महसूस कर सकें। जनता जीवन कैंप की लड़कियों ने मासिक धर्म स्वच्छता पर नुक्कड़ नाटक किया। प्रदर्शनी के जरिए बताने की कोशिश की गई कि मासिक धर्म कोई अपराध नहीं, बल्कि एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इस बाबत हिचक खत्म करनी होगी।

28 का चक्र: 28 मई को पूरी दुनिया में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। आम तौर पर महिलाओं के मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर आते हैं। 2014 में जर्मनी की एक सामाजिक संस्था ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन की आशंका रहती है। यह संक्रमण गर्भाशय के कई गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।