मणिपुर में एक बार फिर हालात बिगड़ गए हैं। हिंसा कई जिलों में देखने को मिली है, सबसे ज्यादा तनाव की स्थिति इम्फाल में चल रही है। अब स्थिति की गंभीरता को समझते हुए पूर्वी और पश्चिमी इम्फाल के कई इलाकों में तत्काल प्रभाव से कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके ऊपर पांच दिनों के लिए इंटरनेट को भी सस्पेंड करने का फैसला लिया गया है।
मणिपुर के जिलों में क्यों लगा कर्फ्यू?
जानकारी के लिए बता दें कि मणिपुर में 1 सितंबर से अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, कई जगहों पर आगजनी हुई है, पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा है, आंसू गैस के गोले तक दागे गए हैं। उस स्थिति की वजह से ही छात्रों ने भी सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन किया है, कई इलाकों में बड़ी संख्या में हुजूम सड़कों पर दिखा है। उस भीड़ का पुलिस से भी आमना-सामना हुआ जिसमें कई लोग घायल हुए। कुछ दिन पहले ही राज्यपाल के घर तक को घेरने की कोशिश हुई थी, रात के समय में टॉर्च मार्च निकाल विरोध प्रदर्शन हुआ था।
मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कथित उग्रवादियों ने ड्रोन से बरसाए बम
अब उस स्थिति को कंट्रोल में करने के लिए मणिपुर में फिर कर्फ्यू का सहारा लेना पड़ रहा है। ज्यादा चिंता की बात यह है कि कथित उपद्रवियों के पास अब खतरनाक हथियार पहुंच चुके हैं, हमले सिर्फ बंदूक से नहीं हो रहे बल्कि ग्रेनेड और रॉकेट तक का इस्तेमाल हो रहा है।
मणिपुर विवाद की असल जड़ क्या है?
असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।