मणिपुर में स्थिति अभी भी विस्फोटक बनी हुई है। आलम ये चल रहा है कि हिंसा के बीच अब आर्मी जवानों का भी अपहरण हो रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार सुबह को आर्मी के JCO का उनके ही घर से अपहरण हो गया। 10 दिन पहले भी एक अधिकारी का ऐसे ही अपहरण किया गया था। मणिपुर में फिर बदलती इस स्थिति ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है।

बताया जा रहा है कि जिस आर्मी अधिकारी का अपहरण हुआ है, वे Thoubal जिले से आते हैं। वे छुट्टी पर गए हुए थे और उन्हें उनके घर से ही उठा लिया गया। अब किस वजह से अपरहण हुआ, किसने किया, अभी तक ये साफ नहीं है। अभी के लिए सुरक्षाबलों को चप्पे चप्पे पर लगा दिया गया है और बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पूरी कोशिश है कि अधिकारी को जल्दी खोजा जाए।

अब इस प्रकार के अपहरण पहले भी मणिपुर में हो चुके हैं। कुछ दिन पहले ही इमफाल से ASP रैंक के अधिकारी पर हमला किया गया था। उस समय एक अन्य अधिकारी का अपहरण भी हुआ था। अब बाद में अपहरण अधिकारी का रेस्क्यू कर लिया गया था, घायलों को अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया, लेकिन उस वजह से स्थिति तनावपूर्ण बन गई थी। अब ये तनावपूर्ण स्थिति कोई अभी की नहीं है,बल्कि पिछले एक साल से ऐसा ही माहौल बना हुआ है।

क्यों जल रहा है मणिपुर?

असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।