Madras High Court: मद्रास हाई कोर्ट में एक शख्स ने अनोखी याचिका देकर अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ विरोध करने की अनुमति मांगी। यह शख्स भैंस के साथ विरोध प्रदर्शन करने की मांग लेकर कोर्ट पहुंचा। यह विचित्र याचिका विल्लुपुरम जिले के रहने वाले के. मुथु ने की थी।
मद्रास के विल्लुपुरम जिले के तिरुवेन्नईल्लूर की रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एक कार्यकारी मुथु ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। उस याचिका में कहा गया, “पंचायत अध्यक्ष और अन्य लोग तिरुवन्नानल्लूर इलाके में सरकारी जमीन की अतिक्रमण और बिक्री कर रहे हैं। इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हम इसका विरोध करने जा रहे हैं और भैंस को साथ लेकर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं।”
याचिका में आगे कहा गया कि भैंस के साथ प्रदर्शन के लिए अनुमति मांगने पर पुलिस ने आवेदन को खारिज कर दिया गया था। याचिका में यह भी कहा गया कि आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए और विरोध की अनुमति दी जानी चाहिए।
भैंस के साथ प्रदर्शन की अनुमति: रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के पदाधिकारी मुथु ने एक ग्राम पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ उनकी याचिकाओं की ठीक से जांच नहीं होने के बाद तहसीलदार और अन्य अधिकारियों के खिलाफ विरोध करने का फैसला किया। मुथु ने आरोप लगाया कि एक ग्राम पंचायत अध्यक्ष और कुछ अन्य लोगों ने सरकारी जमीन को अपने पक्ष में दर्ज कराने का प्रयास किया। हालांकि, अधिकारियों द्वारा उनकी याचिका पर कार्रवाई नहीं करने से दुखी मुथु ने घोषणा की कि वह अब विरोध के रूप में अपनी याचिका एक भैंस को सौंपेंगे।
विरोध के लिए जानवरों के साथ क्रूरता की जरूरत नहीं: वहीं, मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश सतीश कुमार ने कहा, “लोकतांत्रिक विरोध में जानवरों को प्रताड़ित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा भैंस या किसी अन्य जानवर को सुबह से शाम तक खड़ा रखना पशु क्रूरता निषेध अधिनियम 1960 का उल्लंघन है। इसलिए वे भैंस के साथ विरोध करने की अनुमति नहीं दे सकते।”
जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी प्रार्थना में बदलाव करते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी जानवर को शामिल किए, लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सकती है। इस पर न्यायाधीश ने स्थानीय पुलिस को उसकी याचिका पर विचार करने और पुलिस द्वारा निर्धारित स्थान पर सभी सामान्य शर्तों के साथ विरोध करने की अनुमति देने का निर्देश दिया।