मराठावाड़ा में इस समय जश्‍न का माहौल है। यहां लगभग 10 दिन से बारिश हो रही है। कुछ महीने यह इलाका पानी की कमी और वाटर ट्रेन के चलते खबरों में था। चार साल के सूखे के दूर होने का जश्‍न लोग मिठाइयां बांट, ड्रम बजा और पानी से लबालब भरे बांधों के सामने तस्‍वीरें खिंचाकर मना रहे हैं। अधिकारी भी इससे खुश हैं लेकिन उनके सामने अब नई समस्‍या है। बीड़ में पिछले कुछ दिनों में आठ लोग पानी से जुड़ी घटनाओं में मारे गए। कई गांव पानी में डूबे हुए हैं और राहतबचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ को बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि मराठवाड़ा के आठों जिलों के सभी छोटे और मध्‍यम बांध लबालब भरे हैं। वहीं बड़े बांध या तो भर चुके हैं या फिर 50 प्रतिशत से ज्‍यादा के मार्क को छू चुके हैं। बीड़ के सबसे बड़े बांधों में से एक बिंदूसारा 10 साल बाद पूरी तरह से भरा है। आने वाले सप्‍ताह में और बारिश की संभावना जताई गई है।

बीड़ कलेक्‍टर नवल किशोर राम ने कहा कि पिछले चार साल में औसतन बारिश का केवल 45 प्रतिशत पानी बरसा था। रविवार तक बीड़ में 105 प्रतिशत बारिश हुई है। जिले में सालाना औसतन बारिश का आंकड़ा 666 मि‍मी पार हो चुका है। अब तक यहां 700 मिमी पानी बरसा है। रविवार को मजलगांव बांध के गेट खोले जाने के समय काफी लोग आए। चार साल में इस बांध के गेट पहली बार खोले गए हैं। इस बारे में कलेक्‍टर ने बताया, ”अब हमारे सामने ज्‍यादा पानी की समस्‍या है। एक भी कुआं, झील, तालाब या सिंचाई प्रोजेक्‍ट नहीं है जो ओवरफ्लो ना हो।” पड़ोस के जिले उस्‍मानाबाद में भी यही हालात हैं। वहां पर लोग उफनती नदियों को देखने के लिए उमड़ पड़े। यहां के दो बड़े बांध निचला तरणा और सेना कोलेगांव में तेजी से पानी आ रहा है। मानसून से पहले ये दोनों पूरी तरह से सूख गए थे। तरणा में 50 प्रतिशत पानी आ चुका है जो कि 20 साल में सबसे ज्‍यादा है। उस्‍मानाबाद में 17 मध्‍यम और 90 छोटे बांध भी भर चुके हैं। यहां पर इस साल 92 फीसदी बारिश हुर्इ है।

लातूर जिला सूखे से सर्वाधिक प्रभा‍वित था। चार महीने तक यहां पर ट्रेन से पानी लाया गया। यहां का मांजरा बांध तीन-चौथाई भर चुका है। यह बांध लातूर की पांच लाख की आबादी के लिए जीवनरेखा है। लातूर में सालाना 802 मिमी बारिश होती है। इस बार यहां पर रविवार तक 900 मिमी पानी गिर चुका है। लातूर में इंटरनेट कैफे चलाने वाले शाहबाज सईद ने रविवार को मिठाइयां बांटी। उन्होंने बताया, ”हम कई सालों से बुरे सपने में जी रहे थे लेकिन भारी बारिश से हमारी तकलीफ खत्‍म हो गई।” मराठावाड़ा के बाकी पांच राज्‍यों नांदेड़, परभानी, जालना, हिंगोली और औरंगाबाद में भी यही हालात हैं।