मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर पहली बार ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए ड्रोन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार के हादसों की बढ़ती संख्या को लेकर शुरू किए गए अभियान के तहत यह पहल की गई है। दोनों शहरों को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे छह लेन का है और 95 किलोमीटर लंबा है। सप्ताह के अंत में इस रास्ते पर भारी ट्रैफिक रहता है। ट्रायल बेसिस पर शुरू की गई ड्रोन्स से निगरानी दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक की जाती है, इस दौरान यहां सबसे ज्यादा ट्रैफिक रहता है। एक्सप्रेसवे पर हादसों में बड़ी संख्या में हुई मौतों के संदर्भ में एक मंत्री ने इसे ‘मौत का जाल’ तक बता दिया था। पुणे क्षेत्र के सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस (हाइवे), अमोल ताम्बे ने कहा, ”महाराष्ट्र सरकार से निर्देश मिलने के बाद हमने पहली बार ड्रोन्स का प्रयोग किया। दोनों तरफ के ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए घाट सेक्शन (लोनावाला एक्जिट और खालापुर टोल प्लाजा के बीच) दो ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया।
ड्रोन्स द्वारा ली गई हवाई तस्वीरों के बाद लेन तोड़ने के लिए पंद्रह ट्रक ड्राइवर्स पर जुर्माना लगाया गया। ड्रोन्स के इस्तेमाल के पीछे वजह साफ करते हुए, महारा ष्ट्र के गृह (शहरी) राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने हाल ही में कहा था, ”एक्सप्रेसवे के लंबा होने और वहां पर पर्याप्त पुलिस बल न होने की वजह से हमारे पास रैश ड्राइविंग पर कोई कंट्रोल नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा के इस्तेमाल की अपनी वजह है, इसलिए ड्रोन्स के इस्तेमाल का विचार आया। 2002 में जब से एक्सप्रेसवे बना है, तबसे 14,500 हादसे हो चुके हैं, इन हादसों में 1,400 लोग जान गवां चुके हैं।

