दिल्ली उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे को दी गयी सुरक्षा को वापस लेने की मांग को लेकर दायर की गयी एक याचिका पर सुनवायी से इंकार कर दिया क्योंकि केंद्र ने कहा कि उनकी सुरक्षा का ध्यान राज्य सरकार रख रही है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि गृह मंत्रालय के अनुसार उसका ठाकरे की सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं है ऐसे में मनसे प्रमुख की सुरक्षा वापस लेने का सवाल ही नहीं उत्पन्न होता, जिसकी मांग याचिकाकर्ता ने की है। पीठ ने कहा, ‘मंत्रालय के बयान को देखते हुए हम लोग इस रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकते।’ उसने साथ ही कहा, ‘यह जनहित का मुद्दा नहीं है, जिसमें अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत होती है।’
अदालत ने उस याचिका की सुनवायी से इनकार कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ठाकरे को सरकार की तरफ से ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा दी गयी है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि वह ना ही किसी संवैधानिक पद पर हैं और ना ही विधायक हैं। पीठ ने द्वेषपूर्ण भाषण देने वाले अथवा आपराधिक मामलों का सामना करने वाले लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने को लेकर केंद्र को दिशा-निर्देश जारी करने से भी मना कर दिया। पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता अदालत के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह कानून में उपलब्ध अन्य उपायों का सहारा ले सकता है ।
