भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने रविवार को मुंबई के हाजी अली दरगाह में प्रवेश किया और बिना किसी रुकावट के प्रार्थना करने की पेशकश की। प्रार्थना करने के बाद तृप्ति देसाई ने कहा कि बहुत खुशी है कि हमें हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने से नहीं रोका गया। उन्होंने कहा, ‘मैं दरगाह के ट्रस्टियों से अपील करती हूं कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट न जाएं। तृप्ति ने कहा कि यह 21वीं सदी है। आपको महिलाओं को आंतरिक गर्भगृह में जाने की अनुमति देनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इसमें रुकावट नहीं बनना चाहिए, जिससे कानून-व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने आगे कहा, ‘जैसे हमने शनि मंदिर में पूजा-अर्चना की थी, उसी तरह हाजी अली दरगाह में भी शांतिपूर्वक प्रवेश किया।

तृप्ति देसाई ने कहा कि प्रवेश करने के दौरान किसी ने रोका, कई मुस्लिम महिलाओं ने हमारा समर्थन किया है, इससे मैं बहुत खुश हूं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महिलाओं के दरगाह में प्रवेश करने पर लगी रोक को हटा लिया था। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने 2012 में धार्मिक परंपराओं का हवाला देते हुए महिलाओं के प्रवेश पर बैन लगा दिया था। बैन का बचाव करते हुए दरगाह प्रशासन ने कहा था कि एक पुरुष संत की कब्र के करीब महिलाओं का प्रवेश इस्लाम में एक गंभीर पाप के रूप में देखा जाता है।

गौरतलब है कि बीते अप्रैल में तृप्ति ने दरगाह की मजार तक महिलाओं के जाने पर पाबंदी के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा था लेकिन अंतिम समय पर विभिन्न संगठनों के विरोध के चलते वे वहां प्रवेश नहीं ले पाई थीं। महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महिला अधिकार समूह भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता बीबी खातून ने भी इस फैसले पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, ‘सबसे पहले तो मैं उच्च अदालत के न्यायमूर्ति कानाडे सर का शुक्रिया अदा करती हूं।’

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाजी अली दरगाह के अंदर मजार के पास तक महिलाओं की एंट्री पर 2012 से लगा बैन हटाने के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को एक पिटीशन पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दरगाह में महिलाओं की हिफाजत की जिम्मेदारी दरगाह ट्रस्ट और राज्य सरकार की होगी।