महाराष्ट्र में अब नगर निगम धार्मिक कार्यक्रम नहीं करा सकेंगे। राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों से कहा है कि वे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर सरकारी फंड न खर्च करें, जो कि निजी संस्थान आयोजित कराते हैं। सरकार ने इसके लिए एक सर्कुलर भी जारी किया है। सर्कुलर के मुताबिक, अब से गणेशोत्सव, नवरात्र, रमजान, ईद, छठ पूजा, गुड़ीपरवा, गुरुनानक जयंती, महावीर जयंती और डॉ. भीमराव अमेडकर जयंती पर स्थानीय निकाय सरकारी पैसे नहीं खर्च कर पाएंगे। शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि दादर में अंबेडकर जयंती के कार्यक्रम का खर्च बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) उठाता है। उन्होंने कहा, “देश भर से हजारों लोग चैत्य भूमि पर छह दिसंबर को आते हैं। अगर बीएमसी को इसका खर्च नहीं उठाने दिया जाता है, तो कौन खर्च करेगा? यह सरकार का कर्तव्य है कि वह विभिन्न जगहों से आने वाले लोगों के लिए व्यवस्था करे। यह सर्कुलर परेशानी खड़ी करेगा। लोगों की धार्मिक भावनाएं इससे आहत होंगी। यह बड़ा विवाद बने, उससे पहले इसे वापस लिया जाना चाहिए।”

यह सर्कुलर प्रदीप जंगन बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में 29 नवंबर को जारी किया गया था। इसके मुताबिक, सरकार ने किसी प्रकार से धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम में अपने फंड का पैसा न खर्च करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 और भारतीय संविधान के अनुसार धार्मिक कार्यक्रमों पर सरकारी पैसे खर्च करना अधिकारों से बाहर माना जाता है।

प्रदीप जंगन ने अपनी याचिका में कहा था कि निजी संगठनों द्वारा आयोजित किए जाने वाले धार्मिक कार्यक्रमों का खर्च सरकार को उठाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया था, “यह बॉम्बे म्यूनिसिपल एक्ट 1949 के प्रावधानों के बिल्कुल उलट है। यह जनता के पैसों की बर्बादी है। ढेर सारे सामाजिक और धार्मिक संगठन है, जो लगातार अपने कार्यक्रमों को मनाने के लिए सरकार से फंड मांगते हैं, जिसमें दशमा देवी उत्सव, शिवरात्रि जैसे आयोजन होते हैं।”

कार्यक्रम के दौरान बाबा अंबेडकर की फोटो भी रखी गई। (तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।)