मध्यप्रदेश के देवास की स्थानीय अदालत ने बुधवार को आरएसएस के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी आठ आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कहा, ‘सत्य की जीत होती है। एक राष्ट्रवादी दूसरे राष्ट्रवादी का कत्ल नहीं कर सकता। यह चार-पांच नेताओं द्वारा रची गई साजिश थी, जिनकी मंशा राष्ट्रवादियों और भगवा को बदनाम करने की थी।’ बता दें, साध्वी प्रज्ञा अभी न्यायिक हिरासत में हैं और भोपाल में अपना ईलाज करा रही हैं। जब कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाया तो वे कोर्ट में मौजूद नहीं थीं।

साध्वी के एक रिश्तेदार भगवान झा ने उनसे बुधवार को देर शाम मुलाकात की। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह काफी कॉन्फिडेंट थीं कि उन्हें जल्द ही जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि ‘मालेगांव ब्लास्ट केस भी एक झूठा मामला है।’ उन्होंने कहा कि उन्हें जांच एजेंसियों ने पहले ही इस मामले में क्लिन चिट दे चुकी हैं।

साध्वी के रिश्तेदार ने मालेगांव मामले में कहा कि ‘अगर वह वाकई में इसमें शामिल होती तो वे अभी तक उन्हें फांसी पर लटका चुके होते। यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि जो एजेंसियां उन्हें किसी भी तरह से फंसाना चाहती थीं उनके पास सबूत नहीं थे।’ साथ ही उन्होंने बताया कि इस मामले में तीन एजेंसियों को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। इस मामले में सात फरवरी को सुनवाई है।

साध्वी को बरी करते हुए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस और एनआईए दोनों ने किसी पूर्वाग्रह या अज्ञात कारण से प्रकरण में लचर अनुसंधान किया। जोशी की 29 दिसंबर 2007 को देवास के औद्योगिक पुलिस थाना इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कोर्ट ने जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचरन पटेल, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेन्द्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा सहित सभी आठ आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया है कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।