मध्य प्रदेश के विदिशा में बजरंग दल कार्यकर्ता दीपक कुशवाहा की हत्या के बाद तनाव है। रविवार को दीपक की शवयात्रा में शामिल हुए लोग हिंसात्मक हो गए और आस-पास के घरों, दुकानों व धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ की। इस बारे में विश्व हिंदू परिषद के नेता मलखान सिंह राजपूत कहते हैं, ”जब आप पानी से भरी बाल्टी दीवार पर फेंकते हैं तो क्या होता है? क्या होगा अगर दिन-दहाड़े एक हिंदू को निर्दयता से मार दिया जाए? हिंदू समुदाय आक्रोशित होगा। यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। इसमें बड़ी बात क्या है?” 19 साल के दीपक को शनिवार को कथित तौर पर मुस्लिमों के एक समूह ने पुराने विवाद के चलते चाकू मार दिया था। दक्षिणपंथी संस्थाओं ने इसके विरोध में रविवार को बंद बुलाया थ। पोस्टमार्टम के बाद जब दीपक की शवयात्रा निकल रही थी तो उसमें शामिल लोगों ने बक्सरिया और टोप्पुरा में मुस्लिम घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की। भोपाल और सागर से बुलाए गए सुरक्षा बलों की मौजूदगी में पत्थरबाजी और हथियार-प्रदर्शन किया गया। जब तक कर्फ्यू लगाया जाता, तब तक कई घरों में तोड़फोड़ की जा चुकी थी। घबराए लोगों ने रिश्तेदारों और परिचितों के यहां शरण ली। मुस्लिम नेता सिराज अहमद कहते हैं, ”यह दो गुंडों के बीच लड़ाई थी लेकिन इसका परिणाम पूरे मुस्लिम समुदाय को भुगतना पड़ा है।”
शिक्षक हाफिज सिद्दीकी कहते हैं, ”वे मदरसे में घुस आए और सब बर्बाद कर दिया।” दंगाइयों ने मुख्या आरोपी के घर की खिड़कियां तोड़ डालीं और भीड़ ने उसकी पोल्ट्री वैन में आग लगा दी। गुस्साई भीड़ को शांत कराने के लिए प्रशासन ने कुछ दुकानों को हटवा दिया था। दीपक कुशवाहा के परिवार ने एक सदस्य को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपए बतौर हर्जाना दिए जाने की मांग की है। परिवार का कहना है कि अगर पुलिस पहले फाइल की गई शिकायत पर कार्रवाई करती तो दीपक की जिंदगी बचाई जा सकती थी। परिवार को एक प्रभावी बीजेपी नेता ने राशन व अन्य जरूरी सामग्री मुहैया कराई है।
पुलिस ने मामले में अभी तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, इनमें एक हिंदू भी शामिल है। अल्पसंख्यक समुदाय का आरोप है कि हत्या में शामिल नहीं रहे लोगों का नाम भी बदनीयत से घसीटा गया है। इस दौरान, कफ्यू में लगातार दूसरे दिन सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक ढील दी गई, जिससे हालात पटरी पर लौटने लगे हैं।