महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेशवरानंद गिरी का कहना है कि तीसरा विश्व युद्ध गाय की वजह से होगा। स्वामी का कहना है कि गायें हमेशा तरकार का सूत्र रही हैं। पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र है और 1857 की आजादी की पहली लड़ाई भी गाय की वजह से लड़ी गई थी। स्वामी के पास मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन समवर्धन बोर्ड की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के चेयरमैन का पद है। स्वामी पहले धार्मिक व्यक्ति हैं, जिन्हें यह पद मिला है। स्वामी को साल 2010 में निरंजनी अखाड़ा का महामंडलेश्वर बनाया गया था। महामंडलेश्वर बनने के 12 साल पहले उन्होंने सन्यासी की दीक्षा हासिल की थी।

स्वामी का कहना है, ‘जब गौरक्षक घायल और मरी हुई गायों को वाहनों में बंद देखते हैं तो स्वाभाविक है कि वे गुस्सा होंगे, क्योंकि यह उनकी भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्हें अपने हाथों में कानून नहीं लेना चाहिए। उन्हें जब तक पुलिस नहीं आ जाती, वह वाहन रोक कर रखना चाहिए और पुलिस का इंतजार करना चाहिए। सभी राज्य अगर गाय की हत्या पर कड़े कानून बना दें तो एक राज्य से दूसरे राज्य में गायों की तस्करी मुश्किल हो जाएगी। ‘

दीक्षा लेने से पहले स्वामी पूर्व वीएचपी कार्यकर्ता राम जन्मभूमि आंदोलन के साथ जुड़े रहे हैं। इसके साथ ही इन्होंने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ईसाईयों को हिंदू धर्म में कनवर्ट करवाने का काम भी किया है। स्वामी का कहना है कि उन्हें गायों के संरक्षण, रिसर्च और जागरुकता के लिए बहुत कुछ करना है। साथ ही उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री उनके अलग से गौ मंत्रालय बनाए जाने के सुझाव से सहमत हैं।

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साथ ही स्वामी ने कहा, ‘पशुधन विभाग के अधिकारी अगर गौशाला दौरे पर जाते हैं तो उन्हें ‘निरक्षण’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्हें बोलना चाहिए कि वे गौमाता के दर्शन करने जा रहे हैं। निरक्षण शब्द का इस्तेमाल करने से ऐसा लगता है कि वे उनसे बड़े हैं, बल्कि ऐसा है नहीं। अगर दर्शन करना शब्द यूज करेंगे तो ऐसी भावना नहीं आएगी।’

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