Madhya Pradesh Mandsaur Farmers Protest Latest News: पिछले साल जून में मंदसौर किसान आंदोलन में मारे गए छह किसानों की मौत के बाद बनी न्यायिक जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस और सीआरपीएफ को क्लीन चिट दे दी है। जांच में किसानों पर फायरिंग को पूरी तरह से जरूरी (नितांत आवश्यक) और न्यायसंगत बताया है। जेके जैन कमिशन की यह रिपोर्ट पिछले सप्ताह राज्य सरकार को भेज दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है समाज विरोधी तत्वों ने बही पार्श्वनाथ गावं के समीप आंदोलन को संभाला। क्योंकि किसी भी नेता ने किसानों को फसल की सही कीमत और कर्ज माफी के समर्थन में उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित नहीं किया था। इस दौरान दो प्रदरशनकारी बही पार्श्वनाथ में पुलिस फायरिंग में मारे गए जबकि छह जून को तीन प्रदर्शनकारी पिपलियामंडी के बाहर मारे गए।

रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि लोगों के हाथ में लाठियां और हथियारों के अलावा, लोहे की रॉड्स, पेट्रोल से भरी बोतलें थी। भीड़ में कुछ लोग चक्का जाम में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने आठ सीआरपीएफ के जवानों को घेर लिया जो उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। रिपोर्ट में लिखा गया है कि अराजक तत्वों ने जवानों पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके। मारपीट भी की। इस दौरान जब कांस्टेबल विवेक मिश्रा ने, जिनकी पेंट और जूते आग में जल गई, खुद को बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी तो भीड़ ने उन्हें बाहर निकाल राइफल छीनने की कोशिश की।

इसके अलावा कांस्टेबल उदय प्रसाद के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया गया। रिपोर्ट के अनुसार बेकाबू भीड़ ने चिल्लाते हुए कहा कि वह (पुलिसकर्मी) मारे जाएंगे। एएसआई की चेतावनी के बाद भी दोनों पुलिसकर्मियों को छोड़ा नहीं गया। भीड़ जबरदस्ती उन्हें आग में जला देने की कोशिश कर रही थी।

जेके जैन की रिपोर्ट के मुताबिक विजय कुमार ने दो बार फायरिंग की। जिसके कारण कन्हैयालाल और पूनमचंद और बबलू की मौत हो गई। एएसआई शाहजी ने तीन राउंड और कांस्टेबल अरुण कुमार दो राउंड फायरिंग की। रिपोर्ट कहती है कि सीआरपीएफ के जवानों को चोटें नहीं आईं क्योंकि उन्होंने हेलमेट और अन्य सुरक्षा से जुड़े उपकरण पहने थे।

यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी रिपोर्ट