मध्य प्रदेश में अस्पताल ले जाते समय पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद एक व्यक्ति को बस वाले ने पांच दिन की बच्ची और 65 वर्षीय मां समेत रास्ते में उतार दिया। घटना गुरुवार को राज्य के दामोह जिले के चैनपुरा परसाई के करीब हुई। दो राहगीरों ने 37 वर्षीय रामसिंह लोधी और उनकी 65 वर्षीय मां सुनिया को सड़क पर रोते हुए देखा। लोधी की 35 वर्षीय पत्नी मल्लीबाई का चलती बस में निधन हो गया। बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने कुछ सवारियों के कहने पर उन सभी को मदद की व्यवस्ता करने का वादा करते हुए बस से उतरने के लिए कहा।

लोधी छतरपुर जिले के गोगरी गांव के रहने वाले हैं। लोधी की पत्नी बच्ची के जन्म के समय से ही अस्वस्थ थीं। वो उन्हें दामोह के जिला अस्पताल में इलाज के लिए ले जा रहे थे। बस वाले ने उन्हें दामोह से 20 किलोमीटर पहले ही उतार दिया और चला गया। मोटरसाइकिल से दामोह जा रहे जो वकीलों की जब पीड़ित परिवार पर नजर पड़ी तो उन्होंने उनके घर जाने के लिए एक निजी गाड़ी की व्यवस्था की। खबरों के अनुसार उनके घर लौटने से पहले पुलिस की एक गाड़ी उनके पास आकर रुकी थी और उनके बारे में जानकारी ली थी।

राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ड्राइवर और कंडक्टर की गिरफ्तारी का आदेश दिया है। मंत्री ने ड्राइवर का लाइसेंस और बस की परमिट रद्द किए जाने के भि निर्देश दिया है। मंत्री ने कहा, “ये अमानवीय कृत्य था।” दामोह के एसपी तिलक सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ड्राइवर और कंडक्टर को पास के पुलिस थाने में ले जाना चाहिए था। सिंह ने बताया कि दोनों को हिरसात में ले लिया गया है। सिंह ने इस आरोप से इनकार किया कि पुलिस ने पीड़ित परिवार की मदद नहीं की। उनके अनुसार पुलिस की गाड़ी पहुंचने से पहले ही वहां निजी गाड़ी पहुंच चुकी थी।

हालांकि घटना के एक अन्य विवरण के अनुसार रामसिंह लोधी खुद ही बस से उतर गए क्योंकि दामोह से घर वापस जाना ज्यादा खर्चीला पड़ता। ट्रांसपोर्ट कंपनी के एक कर्मचारी के अनुसार लोधी के घर जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्ता बस में यात्रा कर रहे एक टीचर ने की थी और उनके परिवार को 10 मिनट से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा था। दामोह जिले में ही जून महीने में समय से ऐम्बुलेंस न पहुंचने के कारण कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा की मां का निधन हो गया था। शर्मा ने सार्वजनिक रूप से जिले में आधारभूत संरचनाओं के लिए “सिस्टम” को जिम्मेदार ठहराया था।