मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में जिला आयकर अधिकारी शेर सिंह गिन्नारे इलाके में सांपों की मदद के लिए मशहूर हैं। ताजा मामला एक घायल कोबरा नागिन की जान बचाने का है। बड़वानी के सेंधवा में शाम को करीब पांच बजे गिन्नारे को फोन पर सूचना मिली की एक वयस्क कोबरा सांप पर किसी की गाड़ी के नीचे आ गया है और घायल हालत में वो सड़क के किनारे तड़प रहा है। सांप को देखने के लिये लोगों की भीड़ लग गयी थी। कोबरा सर्वाधिक जहरीले सांपों में गिना जाता है इसलिए कोई भी सांप के नजदीक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
खबर मिलते ही गिन्नारे मौके पर पहुंचे। गिन्नारे ने तत्काल पहचान लिया कि घायल कोबरा मादा है। किन्नारे ने स्नेक कैचर (सांप पकड़ने वाली छड़ी) के सहारे पांच-साढ़े पांच फीट लंबी घायल नागिन को पकड़ लिया। वो उसे अपनी कार में रखकर दफ्तर ले आये। नागिन के शरीर का करीब छह इंच हिस्सा गाड़ी के टायर के नीचे आने के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इलाज न मिलने पर नागिन की मौत संभव थी।
गिन्नारे ने नागिन के इलाज के लिए महाराष्ट्र के पलासनेर में रहने वाले लक्की जगदेव और अरविन्द जमादार को बुलाया। लक्की और अरविन्द सांपों के इलाज में माहिर हैं। दोनों पहले भी कई सांपों की जिंदगी बचा चुके हैं। लक्की और अरविन्द ने घाव को साफ करके नागिन के शरीर के बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हिस्से पर कुल 45 टांके लगाए। सर्जरी के बाद नागिन के घाव की मरहम-पट्टी की गयी। घायल नागिन के गुस्से में होने के कारण दोनों को मरहम-पट्टी में करीब डेढ़ घंटे लग गए।
गिन्नारे, लक्की और अरविन्द ने इलाज के बाद कुछ घंटों तक नागिन की निगरानी की। जब वो संतुष्ट हो गये कि अब नागिन को छोड़ने पर उसे कोई दिक्कत नहीं होगी तो गिन्नारे ने स्थानीय बीजासन मंदिर के पास के जंगलों में उसे छोड़ दिया। इस जंगल को स्थानीय तौर पर कोबरा इलाके के रूप में जाना जाता है।
शेर सिंह गिन्नारे को बचपन से ही सांपों से प्यार है। वो हमेशा अपनी कार में सांप पकड़ने के लिए जरूरी स्नेक कैचर और रिंग रॉड रखते हैं। कहीं सांप निकलने पर लोग उन्हें मदद के लिए भी बुलाते हैं। गिन्नारे की मानें तो वो अब तक 500-600 सांप पकड़ चुके हैं और भविष्य में भी वो इस काम को जारी रखेंगे।
