Lok Sabha Elections: एटा जिले की राजनीति को लेकर जहां चर्चाएं हो रही थीं कि इस बार एटा सीट पर सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी लेकिन सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने समाजवादी पार्टी के साथ बड़ा खेला कर दिया है। जहां समाजवादी पार्टी ने एटा सीट पर शाक्य प्रत्याशी उतार भाजपा का गणित बिगाड़ने की चाल चली तो वहीं भाजपा ने समाजवादी पार्टी के नीचे की जमीन ही खिसका दी। एटा-कासगंज की राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद सपा नेता कुंवर देवेंद्र सिंह यादव ने रविवार को भाजपा का दामन थाम लिया।
देवेंद्र यादव साल 1976 से राजनीति में सक्रिय है। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में वह कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े थे लेकिन 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन से पहले संघर्ष के दिनों में वह मुलायम सिंह यादव के साथ शामिल हो गए। देवेंद्र यादव एक ग्राम प्रमुख, विधायक और फिर सांसद की कुर्सी तक पहुंचे। वह साल 1999 और 2004 में एटा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में दो बार सांसद चुने गए।
देवेंद्र यादव मुलायम सिंह के करीबी
देवेंद्र यादव दो बार पटियाली से विधायक रहे थे, यह अब कासगंज जिले में है। कई सालों तक वह एटा जिले से सपा के जिला अध्यक्ष भी रहे। मुलायम सिंह यादव सीएम पद पर रहते हुए भी अपने पुरानी साथी देवेंद्र यादव के घर पर जाते थे। देवेंद्र यादव के बीजेपी में जाने के बाद राजनीतिक समीकरण पर भी काफी असर पड़ा है। इस सीट पर लोधी और यादव वोटर्स का दबदबा माना जाता है। वर्तमान समय में सांसद और तीसरी बार बीजेपी के प्रत्याशी पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह लोधी समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं।
नीरज मिश्रा से बीजेपी ने साधा ब्राह्मण वोट बैंक
पूर्व सांसद देवेंद्र सिंह यादव के पीछे-पीछे बहुजन समाज पार्टी के नेता नीरज मिश्रा भी बीजेपी में शामिल हो गए। कासगंज एटा जिले में अपना वजूद रखने वाले कद्दावर सपा नेता देवेंद्र सिंह यादव व बसपा के जुझारू नेता नीरज मिश्रा को वर्तमान सांसद राजवीर सिंह ने अपने साथ पार्टी में मिलाकर चुनाव की धुरी को अपनी ओर सीधी तरह मोड़ दिया है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि नीरज मिश्रा के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी को अपना ब्राह्मण वोट बैंक मजबूत करने में मदद मिलेगी।