उत्तर भारत सहित देश के राज्य भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। ऐसे में ट्रेनों की लेटलतीफी भी मुसाफिरों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि रेलवे की औसतन 35 फीसद ट्रेनें देरी से चल रही हैं। पहले आमतौर पर कोहरे के समय ट्रेनों में होने वाली देरी अब पूरे साल ही जारी रहती है। इससे गर्मी की छुट्टियों में परिजनों से मिलने या घूमने जाने और परीक्षा या नौकरी के सिलसिले में दूसरे शहर जाने वाले यात्रियों का काफी वक्त बर्बाद हो रहा है। झुलसाती गर्मी और उमस से बेहाल यात्रियों को ट्रेनों की लेटलतीफी की मार भी झेलनी पड़ रही है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा मांग और संसाधनों की उपलब्धता में अंतर होने की वजह से ट्रेनों के परिचालन में देरी हो रही है। इसे दुरुस्त करने का लगातार प्रयास हो रहा है। ट्रेनों में रोजाना हो रही घंटों की देरी के कारण पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली और आनंद विहार रेलवे स्टेशन सभी जगह यात्रियों की भारी भीड़ है। ट्रेनों के इंतजार में यात्री प्लेटफार्म पर डेरा डाले बैठे रहते हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भुवनेश्वर दूरंतो एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे एक यात्री ने बताया कि उनकी ट्रेन तय समय से साढे तीन घंटे की देरी से जाएगी। वे कहते हैं कि जब दूरंतों जैसी प्रीमियम ट्रेन का यह हाल है जो कम जगहों पर रुकती है, तो साधारण ट्रेनों का हाल क्या होगा। उन्होंने पूछताछ काउंटर से पता किया तो जवाब मिला यह ट्रेन भुवनेश्वर से ही पौने छह घंटे की देरी से आई है और अब साफ-सफाई व मरम्मत के बिना तो इसे आगे भेजा नहीं जा सकता।
यहीं पर महाबोधि एक्सपे्रस की राह देख रहे यात्री दिनेश ने कहा कि उनकी ट्रेन भी देर से आएगी। उन्होंने कहा कि ट्रेन जाने में सवा दो घंटे की देरी है और आगे पता नहीं और कितनी देर होगी। वे कहते हैं कि कि छुट्टियां कम हैं और ट्रेन का यही हाल रहा तो जाने में ही काफी वक्त बर्बाद हो जाएगा और वे घर पर ज्यादा समय नहीं बिता पाएंगे। स्टेशन पर कुछ और ट्रेनों के देरी से जाने की उद्घोषणा हो रही थी, जिसे यात्री कान लगाए सुन रहे थे और परेशान हो रहे थे। ट्रेनों की देरी से सबसे ज्यादा परेशानी सेना के जवानों को हो रही है, जिनको बड़ी मुश्किल से छुट्टी मिलती है। उनका सारा वक्त यात्रा में ही बर्बाद हो जाता है। कई बार वे घर पहुंचते नहीं कि वापसी का समय हो जाता है। एक जवान ने बताया कि एक ट्रेन की देरी की वजह से आगे की दूसरी ट्रेन भी छूट जाती है और फिर कनेक्टेड टिकट भी नहीं होता।
18 साल में दोगुनी हुर्इं ट्रेनें
बिना धुंध के मौसम में ट्रेनों की देरी का कारण पूछने पर अश्विनी लोहानी ने कहा कि 65 फीसद ट्रेनें समय से चल रही हैं। औसतन 35 फीसद ट्रेनें ही देरी से चल रही हैं, इनमें भी ज्यादातर पूर्व व पूर्वोत्तर की ओर जाने वाली ही हैं। इसकी वजह यह है कि इन रूटों पर क्षमता से कई गुना अधिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं। वे बताते हैं कि पिछले 18 सालों में ट्रेनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। टैक खाली ही नहीं मिलते। इसके अलावा लाइनों के दोहरीकरण का काम, पुरानी पटरियों की मरम्मत व सिग्नल आधुनिक बनाने का काम लगातार जारी है। ऐसे में यात्री सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।
अमूमन देरी से चल रहीं ट्रेनें
ट्रेन – देरी
पुरुषोत्तम एक्सप्रेस – 3.55 घंटे
महाबोधि एक्सप्रेस – 6.40 घंटे
श्रमजीवी एक्सप्रेस – 6 घंटे
बिहार संपर्क क्रांति – 2.10 घंटे
पूर्वा एक्सप्रेस – 7 घंटे
मगध एक्सप्रेस – 9 घंटे
वैशाली एक्सप्रेस – 5.40 घंटे
