कोलकाता में एक मस्जिद है। नाम है अमानती मस्जिद। आप जानकर ताज्जुब करेंगे कि उसका संचालन मुसलमानों नहीं बल्कि हिंदुओं के हाथों में है।हृदयपुर और बारासात के बीच स्थित यह मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है।मस्जिद के प्रवेश द्वार पर बंगाली में लिखा-प्रभु को प्रणाम करो, ही सब कुछ बयां कर देता है। प्रभु शब्द सामान्यतया चर्चों में और प्रणाम शब्द का प्रयोग मंदिरों में होता है। इस मस्जिद का रखरखाव नोपाबली निवासी पार्थ सारथी बोस और उनका परिवार करता है।1960 से उनके स्वामित्व में इस मस्जिद का संचालन हो रहा है। बोस ने बताया कि पहले उनकी बांग्लादेश में संपत्ति हुआ करती थी मगर बाद में उन्होंने नाबापल्ली में वहां के बदले जमीन ले ली। इस दौरान उस जमीन पर मस्जिद भी मिली।

उन्होंने कहा कि मेरे दादा ने मस्जिद नष्ट न करने की सलाह करते हुए कहा था कि इसे सभी धर्मों के लिए एक धर्मस्थल के रूप में विकसित करना चाहिए।जिसके बाद अमानती मस्जिद को सभी धर्मों के धर्मस्थल के रूप में विकसित किया गया। मस्जिद के इमाम अख्तर अली ने बताया कि हर शाम को स्थानीय लोग मस्जिद में आते हैं, जिसमें ज्यादातर हिंदू होते हैं।मस्जिद जिस जगह स्थित है, वह छोटा सा मुस्लिम मुहल्ला है। मगर इस मस्जिद तक काजीपारा, चंदनपुर और कोरा आदि नजदीकी इलाके के श्रद्धालु भी आते हैं।
ईद की नमाज पढ़ने मस्जिद पर आए बबलू इकबाल ने कहा कि मेरा परिवार हमेशा यहां नमाज अदा करने आता हूं, जबकि हमारे घर के पास भी एक मस्जिद है। लेकिन मेरा परिवार इस मस्जिद को कुछ विशेष मानता है।सात किलोमीटर दूर से नमाज अदा करने आए मोमिन अली मंडल ने कहा कि स्थान भले छोटा है, मगर यहां भीड़ ज्यादा उमड़ती है।