रोजगार के बेहतर अवसरों के लिए सऊदी अरब गए एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर को एक सऊदी नागरिक को उसके ऊंट फार्म में काम करने के लिए गुलाम के रूप में कथित रूप से ‘बेच’ दिया गया। जयंत बिस्वास के परिजनों ने उसे सऊदी अरब से वापस लाने की खातिर मदद के लिए विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। हालांकि, मंत्रालय ने अब तक उन्हें कोई जवाब नहीं दिया है। जयंत की बड़ी बहन गौरी बिस्वास ने कहा, ‘हम भारत सरकार से मेरे भाई को वापस लाने के लिए कदम उठाने की अपील करते हैं।’ गौरी के मुताबिक, इस साल के शुरू में जयंत नई दिल्ली और मुंबई के एजेंटों के संपर्क में था जिन्होंने उसे सऊदी अरब में ऑटोमोबाइल सेक्टर में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा दे कर उससे एक लाख रूपए लिए थे। साथ ही गौरी ने बताया, ‘एजेंटों ने जयंत को रियाद के लिए टूरिस्ट वीजा पर रवाना कर दिया। उन्होंने उससे वादा किया था कि उसके वहां तीन महीने रुकने के बाद वर्क वीजा मिल जाएगा। उनके भरोसे पर जयंत 15 मई को रियाद चला गया। उसे एजेंटों ने ठगा है। रियाद पहुंचने के बाद उसे एक सऊदी नागरिक को उसके ऊंट फार्म में काम करने के लिए बेच दिया गया।’

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गौरी ने दावा किया है, ‘उससे खेतों में मजदूर के तौर पर काम करवाया जा रहा था और एक वक्त ही खाना दिया जाता था। जिस आदमी ने उसे खरीदा था, उसने उसका यौन शोषण करने का भी प्रयास किया था। जयंत ने एक बार अपने मालिक के घर से भागने की भी कोशिश की थी, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया। उसके साथ मारपीट भी की जाती थी।’

बाद में वह किसकी तरह वहां से भागने में कामयाब हो गया और रियाद में भारतीय दूतावास पहुंचकर मदद मांगी। वहां पर उसका बयान दर्ज किया गया और रियाद में उसे एक एनजीओ में भेज दिया गया। जयंत की बहन ने दावा किया, ‘जयंत के भागने पर गुस्सा हुए उसके मालिक ने उस पर 10 हजार रियाल चोरी करके भागने के आरोप लगा दिया, इसके बाद उसे जेल में डाल दिया गया। जेल से उसने हमसे संपर्क करने की कोशिश की। इसके बाद हमें उसके बारे में यह पता लगा। जब हमने इस बारे में एजेंट से बात की तो उन्होंने मेरे भाई की रिहाई के लिए 35 हजार रुपए की मांग की थी। हमने वह रकम दी और उसे 27 अक्टूबर को जेल से रिहा कर दिया गया।’

अब वह जेल से बाहर है, लेकिन उसके परिजनों को यह नहीं पता कि वह वापस कब आएगा। जयंत के पिता रबिंद्रनाथ बिस्वास ने जयंत की वापस के लिए विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। गौरी ने कहा, ‘हम विदेश मंत्रालय और केंद्रीय मंत्री सुष्मा स्वराज से गुहार लगाई है। लेकिन हमारी अभी तक नहीं सुनी गई है। हम चाहते हैं कि विदेश मंत्रालय तुरंत कदम उठाए।