केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि पति की आपत्ति के बावजूद पत्नी अगर किसी और पुरुष से छिपकर बात करती है तो वो वैवाहिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। केरल उच्च न्यायालय ने विवाह को भंग करने की याचिका की अनुमति देते हुए कहा कि रात में पत्नी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को गुप्त फोन कॉल करना और पति की चेतावनी की अवहेलना करना वैवाहिक क्रूरता के बराबर है। अगस्त 2021 में दिए गए एक फैसले में कहा गया है कि क्रूरता के लिए शारीरिक हिंसा बिल्कुल जरूरी नहीं है।
केरल हाईकोर्ट थोडुपुझा में फैमिली कोर्ट के तीन फैसलों के खिलाफ पति द्वारा दायर तीन अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई कर रहा था। फैमिली कोर्ट ने व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर विवाह को भंग करने की पति की याचिका को खारिज कर दिया था। सोने के गहने और पैसे की वापसी के लिए पत्नी की याचिका पर एक और फैसले को फैमिली कोर्ट ने आंशिक रूप से अनुमति दी थी। वहीं नाबालिग बच्चे के अभिभावक के रूप में नियुक्त करने के लिए पति की तीसरी याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था। पति के तीनों फैसलों के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हुई।
मिली जानकारी के अनुसार पति और पत्नी के बीच विवाह मई 2006 में हुआ था। शादी के बाद दोनों एर्नाकुलम में रहने लगे। नवंबर 2007 में विवाह के बाद दोनों को एक बच्चा भी हुआ। दलीलों और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि उनके बीच वैवाहिक संबंध शुरू से ही सौहार्दपूर्ण और खुशहाल नहीं थे। शादी के तुरंत बाद उनके बीच वैवाहिक कलह विकसित हो गई जो समय बीतने के साथ तेज होती गई।
बार एंड बेंच के अनुसार पति ने उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया कि उसकी पत्नी एक व्यभिचारी थी और लगातार गंदी भाषा का उपयोग करती थी। पत्नी ने सभी साझा घरेलू कर्तव्यों का त्याग कर दिया था। आत्महत्या करने की धमकी देती थी, यौन संबंध बनाने से इनकार करती थी। दूसरों के सामने उसका उपहास उड़ाती थी और उसकी मां को गाली भी देती थी। यह आरोप लगाया गया कि पत्नी ने उसके, उसकी मां और बहन के खिलाफ झूठे केस भी दर्ज कराए।
व्यभिचार के आरोपों को साबित करने के लिए, पति ने पत्नी और दूसरे प्रतिवादी के बीच की गई कॉल का विवरण भी दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि पत्नी और दूसरा प्रतिवादी एकसाथ घूमने भी गए थे। जिसके बाद विभिन्न व्यक्तियों से पूछताछ करने पर, उन्हें पता चला कि वे शादी से पहले रिश्ते में थे और यह संबंध शादी के बाद भी जारी रहा।
इन आरोपों पर कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा पेश किए गए सबूत व्यभिचार साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि पत्नी दूसरे प्रतिवादी को बार-बार फोन करती थी।