केरल सरकार ने एसएनसी लवलीन भ्रष्टाचार मामले में पूर्व मंत्री और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य पी. विजयन की रिहाई के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया है। सरकार ने विजयन को रिहा करने के सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका पर ‘तत्काल’ सुनवाई की मांग की है। अभियोजन महानिदेशक टी. आसफ अली ने पुनरीक्षण याचिका की जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की है।

एसएनसी लवलीन भ्रष्टाचार मामले में विजयन और छह अन्य की रिहाई को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका मूल रूप से टीपी नंदकुमार नाम के एक व्यक्ति और सीबीआई ने दायर की थी। सीबीआई ने मामले में आरोप पत्र दायर किया था। सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। तिरुवनंतपुरम की विशेष सीबीआई अदालत ने नवंबर 2013 में 374.50 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में विजयन और छह अन्य को बरी कर दिया था। विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि सीबीआई विजयन और दूसरे आरोपियों के खिलाफ लगे साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप साबित करने में नाकाम रही।

यह मामला राज्य में तीन पनबिजली परियोजनाओं के नवीनीकरण के लिए कनाडा की कंपनी एसएनसी लवलीन को ठेका देने में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ा है। केरल सरकार ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर अर्जी में कहा है, ‘केरल और केएसईबी (केरल राज्य विद्युत बोर्ड) को भारी नुकसान हुआ। मामले में आरोपी की देर करने की चाल पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। किसी भी बहाने से मामले की सुनवाई में देरी करने का औचित्य नहीं है। इसलिए मामले पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए।’